Spiritual/धर्म

मणिकर्ण नामक पवित्र तीर्थ

Spiritual/धर्म (giltv) हिमाचल में कुल्लू से लगभग 45 किमी दूर पार्वती घाटी में व्यास और पार्वती नदियों के मध्य मणिकर्ण नामक पवित्र तीर्थ स्थित है। मणिकर्ण का अर्थ कान का मणि यानी कर्णफूल से लिया जाता है।पौराणिक कथानुसार धार्मिक मान्यता है कि यहां विहार के दौरान मां पार्वती का कर्णफूल खो गया था। स्वयं भोलेनाथ ने कर्णफूल को ढूंढने का काम किया। कर्णफूल पाताल लोक में जाकर शेषनाग के पास चला गया था, जिसके बाद शिवजी काफी क्रोधित हुए। शेषनाग ने कर्णफूल वापस कर दिया था। माना जाता है कि शेषनाग ने जब जोर से फुंकार भरी तब ऊपर जमीन पर दरार पड़ गई थी, जिसके बाद वहां गर्म पानी के स्रोतों का निर्माण हुआ। गर्म पानी के साथ अनमोल रत्न भी प्राप्त हुए।इसी स्थान पर भगवान शिव का मंदिर है। कुल्लू के राजाओं ने भगवान राम का एक मंदिर भी बनवाया था जो रघुनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां भगवान कृष्ण एवं विष्णु के मंदिर भी हैं। यहाँ सिखों का एक गुरुद्वारा है जो इनके धार्मिक स्थलों में विशेष महत्व रखता है। यह मणिकर्ण साहिब गुरु नानकदेव की यहां की यात्रा की स्मृति में बनाया गया था। जनम सखी और ज्ञानी ज्ञान सिंह द्वारा लिखी तवारीख गुरु खालसा में इस बात का उल्लेख है कि गुरु नानक ने भाई मरदाना और पंच प्यारों के साथ यहां की यात्रा की थी। पंजाब से बडी़ संख्या में लोग श्रद्धा के साथ यहां आते हैं। पूरे वर्ष यहां दोनों समय लंगर चलता रहता है। यहां के यह पानी संधिशोथ और इसी तरह की कई बीमारियों में फायदेमंद मन जाता है। इस स्थान के धार्मिक महत्व का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कुल्लू घाटी के अधिकतर देवता समय-समय पर अपनी सवारी के साथ यहां आते रहते हैं।

Related posts

गंगा दशहरा, दान करने से मिलेगा सौभाग्य

GIL TV News

बुद्ध पूर्णिमा 2021

GIL TV News

कब है आश्विन मास का सोम प्रदोष व्रत? जानें तिथि

GIL TV News

Leave a Comment