राजनीति ( GIL TV) दिल्ली। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के बीच बिहार विधानसभा चुनाव कराने से चुनाव आयोग को ‘‘हतोत्साहित’’ किया गया था लेकिन चुनाव आयोग का मानना था कि ‘‘अपने भरोसे के दम पर चुनाव कराना है, अंधेरे में छलांग नहीं लगानी है।’’ पहले की परम्परा को तोड़ते हुए बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की समाप्ति पर बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में मुख्य चुनाव आयुक्त भी शामिल हुए। सामान्य तौर पर संबंधित उप चुनाव आयुक्त ही संवाददाता सम्मेलन करते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त और उनके साथी चुनाव आयुक्त लोकसभा एवं विधानसभा चुनाव के कार्यक्रमों की घोषणा करते हैं। अरोड़ा ने कहा, ‘‘ एक तरह से मैं कहूंगा कि हमें (चुनाव आयोग को) हतोत्साहित किया गया कि महामारी के बीच चुनाव क्यों कराये जा रहे हैं। लेकिन आपको याद होगा कि मैंने 25 सितम्बर (जब बिहार विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम घोषित किए गए थे) को कहा था कि चुनाव आयोग के लिए यह भरोसे की बात है न कि अंधेरे में छलांग लगाना है।’’ बहरहाल, उन्होंने यह नहीं कहा कि चुनाव आयोग को किसने हतोत्साहित किया था। कुछ विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से अपील की थी कि महामारी के कारण चुनाव स्थगित कर दिए जाएं।
अरोड़ा ने कहा कि बिहार विधानसभा के प्रथम चरण में मतदान प्रतिशत शाम पांच बजे तक 52.24 फीसदी था। चुनाव आयोग के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अनुमानित वोट प्रतिशत 2015 के विधानसभा चुनावों और लोकसभा चुनावों से ज्यादा होने की आस थी। उन्होंने कहा कि जिन 16 जिलों में इस चरण में चुनाव हुए उनमें से 12 वाम चरमपंथ से प्रभावित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘12 में से चार जिले नक्सलवाद से बुरी तरह प्रभावित हैं।’’ उन्होंने चुनाव के सुचारू संचालन पर खुशी जताई।