Spiritual/धर्म

केदारनाथ धाम में स्थापित हो रही है 60 क्विंटल ‘ॐ’ की आकृति, जानिए क्या है ‘ॐ’ का महत्व

केदारनाथ यात्रा में भगवान केदारनाथ के दर्शन के लिए लाखों की संख्या में लोग पंजीकरण करा रहे हैं। केदारनाथ धाम आकर मंदिर की भव्यता से लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। लेकिन अब केदारनाथ धाम की भव्यता को अधिक बढ़ाने के लिए मन्दिर परिसर में तीन सौ मीटर, आगे पांच टन की भगवान शिव के अतिप्रिय ‘ॐ’ चिन्ह को स्थापित किया जा रहा है। बता दें कि सनातन धर्म ‘ॐ’ का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, नितदिन ॐ का उच्चारण करने से या ॐ की ध्वनि निकालने से को प्रकार के रोग एवं दोष खत्म जो जाते हैं।
ॐ का महत्व
यह गुजरात के कारीगरों द्वारा बनाई गई है, और इस प्रतिमा का कुछ समय बाद अनावरण किया जाएगा। लेकिन अभी से यह आने वाले श्रधालुओं के लिए आस्था बन चुका है। वहीं ‘ॐ’ के महत्व की बात करें तो ॐ की गणना प्रथम ध्वनि के रूप में की जाती है। माना यह भी जाता है कि ब्रहमांड में प्राकृतिक ध्वनि ‘ॐ’ की गूंजती है।
ॐ का लाभ
शास्त्रों में बताया गया है कि ‘ॐ’ की ध्वनी से मानसिक और शारीरिक तनाव खत्म हो जाता है और मन शून्य की ओर अग्रसर हो जाता है।
नितदिन ‘ॐ’ का उच्चारण करने से रोग दोष से मुक्ति मिलती है और आस-पास के वातारवरण में सकारात्मक उर्जा का संचार होता है। साथ ही व्यक्ति को अपने लक्ष्य के लिए एकाग्रता प्राप्त होती है।
बता दें कि ‘ॐ’ का उच्चारण सूर्यदय से पूर्व करना सबसे लाभकारी माना गया है। शास्त्रों में बताया गया है कि ॐ का उच्चारण या जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। ऐसा करने से लाभ मिलता है।
बता दें कि ‘ॐ’ में 3 वर्ण अक्षर हैं अ, उ और म। इन तीनों अक्षरों में त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु और महेश वास करते हैं। ऐसे में प्रतिदिन ॐ का उच्चारण करने से इन देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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