Spiritual/धर्म (GIL TV) एक युवक अपनी असफलता पर परेशान होकर कुछ विचार कर रहा था। इसी बीच वहां से गुजर रहे एक महात्मा ने उस परेशान हाल युवक को देखा तो उससे उसकी परेशानी पूछ बैठे। युवक ने बुझे मन से कार्य में असफल रहने की व्यथा महात्मा को बताई। महात्मा ने पूछा कि यह सब तो ठीक है लेकिन अब उदास होने से क्या होगा, उठो और आगे बढ़ो लेकिन युवक हिम्मत हार चुका था। यह देख महात्मा ने युवक को एक छोटी सी कहानी सुनाई।महात्मा बोले, एक घर में पांच दीये जल रहे थे। उनमें से एक दीये ने परेशानी होते हुए कहा कि इतना जलकर भी मेरी रोशनी की लोगों को कोई कदर नहीं! तो बेहतर यही होगा कि मैं बुझ जाऊं। वह दिया खुद को व्यर्थ समझ कर बुझ गया। महात्मा ने युवक से पूछा जानते हो, वह दिया कौन था? वह दिया था उत्साह का प्रतीक।यह देख दूसरा दिया, जो शांति का प्रतीक था, कहने लगा- निरंतर शांति की रोशनी देने के बावजूद लोग हिंसा नहीं छोड़ रहे, इसलिए मुझे भी बुझ जाना चाहिए और शांति का दिया बुझ गया।उत्साह और शांति के दीये के बुझने के बाद, जो तीसरा दिया हिम्मत का था, वह भी अपनी हिम्मत खो बैठा और बुझ गया। महात्मा ने बताया कि उत्साह, शांति और अब हिम्मत के न रहने पर चौथे दिए ने भी बुझना उचित समझा। यह चौथा दिया समृद्धि का प्रतीक था।
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