आज सावन महीने की तीसरी सोमवारी का व्रत रखा जा रहा है। इस शुभ अवसर पर शिव भक्त श्रद्धा भाव से अपने आराध्य की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। शिव मंदिरों में भजन कीर्तन का आयोजन किया गया है। महिलाएं एकत्र होकर शिव चर्चा कर रही हैं। इसमें भगवान शिव की लीलाओं का गुणगान किया जाता है। भगवान शिव की लीला अपरंपार है। भक्तों का उद्धार करते हैं, तो दुष्टों का संहार करते हैं। इसके लिए भगवान शिव को आदि और अंत भी कहा जाता है। शिव पुराण में निहित है कि सृष्टि के रचयिता देवों के देव महादेव के शरणागत रहने वाले साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। उनकी कृपा से अंत काल में साधक को भव सागर से भी मुक्ति मिलती है। अतः साधक सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा-भक्ति करते हैं। अगर आप भी सांसारिक दुखों से निजात पाना चाहते हैं, तो आज संध्याकाल में आरती के समय ये स्तुति जरूर करें। आइए, भगवान शिव की स्तुति का पाठ करें-
भगवान शिव की स्तुति
सत्य, सनातन, सुंदर, शिव! सबके स्वामी ।
अविकारी, अविनाशी, अज, अंतर्यामी ॥
हर-हर महादेव ! शिव शंभू!
आदि अनंत, अनामय, अकल, कलाधारी ।
अमल, अरूप, अगोचर, अविचल अघहारी ॥
हर-हर महादेव ! शिव शंभू!
ब्रह्मा, विष्णु, महेश्वर, तुम त्रिमूर्तिधारी ।
कर्ता, भर्ता, धर्ता, तुम ही संहारी ॥
हर-हर महादेव ! शिव शंभू!
रक्षक, भक्षक, प्रेरक, तुम औढरदानी ।
साक्षी, परम अकर्ता, कर्ता अभिमानी ॥
हर-हर महादेव ! शिव शंभू!
मणिमय भवन निवासी, अति भोगी, रागी ।
सदा मसानबिहारी, योगी वैरागी ॥
हर-हर महादेव ! शिव शंभू!
छाल, कपाल, गरल, गल, मुंडमाल व्याली ।
चिताभस्म तन, त्रिनयन, अयन महाकाली ॥
हर-हर महादेव ! शिव शंभू!
प्रेत-पिशाच, सुसेवित, पीत जटाधारी ।
विवसन, विकट रूपधर, रुद्र प्रलयकारी ॥
हर-हर महादेव ! शिव शंभू!
शुभ्र, सौम्य, सुरसरिधर, शशिधर, सुखकारी ।
अतिकमनीय, शान्तिकर शिव मुनि मन हारी ॥
हर-हर महादेव ! शिव शंभू!
निर्गुण, सगुण, निरंजन, जगमय नित्य प्रभो ।
कालरूप केवल, हर! कालातीत विभो ॥
हर-हर महादेव ! शिव शंभू!
सत-चित-आनँद, रसमय, करुणामय, धाता ।
प्रेम-सुधा-निधि, प्रियतम, अखिल विश्व-त्राता ॥
हर-हर महादेव ! शिव शंभू!
हम अति दीन, दयामय! चरण-शरण दीजै ।
सब विधि निर्मल मति, कर अपना कर लीजै ॥
हर-हर महादेव ! शिव शंभू!