राम नवमी के महीने दिन बाद आज जानकी नवमी की धूम है। दरअसल प्रभु श्रीराम की प्रिय माता सीता का आज जन्मोत्सव है। यह उत्सव प्रतिवर्ष राम जन्मोत्सव के ठीक महीने दिन बाद उसी तिथि को आता है। इस नाते अंग्रेजी तिथि भी सामान्यत: वही रहती है बस महीना बदल जाता है। हालिया कुछेक वर्षो में राम नवमी के बाद जानकी नवमी उत्सव का चलन भी कुछ बढ़ा है। अब यह बिहार-नेपाल की सीमाओं से निकल वैश्विक होता जा रहा है। इस अवसर पर सीतामढ़ी (बिहार) और जनकपुर (नेपाल) आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या में भी उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। विचार करें तो कहीं न कहीं सांस्कृतिक चेतना, सूचना और सुविधाओं का बढ़ता संजाल इसके प्रमुख कारण हैं।नेपाल का जनकपुर जहां सीता स्वयंवर के लिए जाना जाता है, वहीं बिहार का सीतामढ़ी नगर उनकी जन्मस्थली के तौर पर प्रसिद्ध है। इसे जानकी जन्मभूमि या सीता प्राकट्य भूमि के तौर पर भी जाना जाता है। दरअसल पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सीता अयोनिजा संतान हैं। राम कथानुसार वह राजा जनक और रानी सुनयना को हलेष्ठी यज्ञ उपरांत संतान रूप में प्राप्त हुई थीं। सीतामढ़ी के पुनौरा गांव में मिलीं माता सीता का छठिहार उत्सव भी उसी नगर में संपन्न हुआ था। छठिहार जन्मोपरांत होने वाला पुरातन धार्मिक अनुष्ठान है। हिंदू मान्यताओं में यह जन्म के छठे दिन मनाया जाता है।
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