Spiritual/धर्म

10 मार्च से शुरू होंगे होलाष्टक

होलिका दहन से आठ दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाते हैं जो 10 मार्च से 18 मार्च तक चलेंगे। फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक आठ दिनों तक होलाष्टक के दौरान इन आठ दिनों में शुभ कार्य नहीं किए जाते लेकिन देवी-देवताओं की आराधना के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं। इन आठ दिनों के मध्य विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान, जमीन, वाहन क्रय और विक्रय आदि निषेध माने गए हैं। वहीं 14 मार्च से सूर्य देव मीन राशि में गोचर करेंगे। सूर्य के मीन राशि में गोचर करने पर भी शुभ कार्य वर्जित रहते हैं। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलाष्टक होलिका दहन से आठ दिन पहले से लग जाता है। इस बार होलाष्टक 10 मार्च से 18 मार्च तक लगेगा। फाल्गुन अष्टमी से होलिका दहन तक आठ दिनों तक होलाष्टक के दौरान मांगलिक और शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है। इन आठ दिनों में भले ही शुभ कार्य नहीं किए जाते, लेकिन देवी-देवताओं की आराधना के लिए ये दिन बहुत ही श्रेष्ठ माने जाते हैं। इस बार होलिका दहन 17 मार्च 2022 को होगा इसलिए होलाष्टक होली से आठ दिन पहले यानी 10 मार्च 2022 से लग जाएंगे। वहीं इसके अगले दिन यानी कि शुक्रवार 18 मार्च 2022, को होली खेली जाएगी।

हिंदू धर्म में होली के पर्व का विशेष महत्व है। साल की शुरुआत होते ही पहला बड़ा त्योहार होली ही होता है है। होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। लेकिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही होलाष्टक लग जाता है। होलाष्टक शब्द होली और अष्टक से से मिलकर बना है। इसका अर्थ है होली के आठ दिन। देशभर में होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा को किया जाता है, पूर्णिमा से आठ दिन पहले से होलाष्टक लग जाता है। होलाष्टक के आठ दिनों के बीच विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, मकान-वाहन की खरीदारी आदि किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है। हालांकि ये आठ दिन पूजा पाठ के लिहाज से काफी शुभ माने जाते हैं।

दान-पुण्य से मिलेगा लाभ

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि एक तरफ होलाष्टक में 16 संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है, वहीं यह समय भगवान की भक्ति के लिए भी उत्तम माना जाता है। होलाष्टक के दौरान दान-पुण्य करने का विशेष फल प्राप्त होता है। इस दौरान मनुष्य को अधिक से अधिक भगवत भजन और वैदिक अनुष्ठान करने चाहिए, ताकि समस्त कष्टों से मुक्ति मिल सके। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से हर तरह के रोग से छुटकारा मिलता है और सेहत अ’छी रहती है।

होलाष्टक और इसका धार्मिक महत्व

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलाष्टक होलिका दहन से आठ दिन पहले से लग जाता है। इस बार होलाष्टक 10 मार्च से 18 मार्च तक लगेगा। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही होती है। होलाष्टक के दिन से होली की तैयारी शुरू हो जाती है। ऐसे में होलाष्टक के दौरान लोग शुभ काम नहीं करते और करने से बचते हैं।

क्यों लगते है होलाष्टक

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि होलाष्टक को लेकर एक कथा प्रचलित है कि राजा हिरण्यकश्यप बेटे प्रहलाद को भगवान विष्णु की भक्ति से दूर करना चाहते थे। और इसके लिए उन्होंने इन आठ दिन प्रहलाद को कठिन यातनाएं दीं। इसके बाद आठवें दिन बहन होलिका (जिसे आग में न जलने का वरदान था) के गोदी में प्रहलाद को बैठा कर जला दिया। लेकिन फिर भी प्रहलाद बच गए। अतः ऐसे में इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है और कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। होलाष्टक के दौरान सोलह संस्कार सहित सभी शुभ कार्यों को रोक दिया जाता है। इन दिनों गृह प्रवेश या किसी अन्य भवन में प्रवेश करने की भी मनाही होती है। इतना ही नहीं, नई शादी हुई लड़कियों को ससुराल की पहली होली देखने की भी मनाही होती है।

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