भारत के खिलाफ दूसरे टेस्ट मैच में दक्षिण अफ्रीका के डीन एल्गर ने अपनी क्षमता सभी को दिखाई। अगर भारत ने सेंचुरियन में दक्षिण अफ्रीका के किले को ध्वस्त किया तो अफ्रीकी खिलाड़ियों ने जोहानिसबर्ग के वांडरर्स क्रिकेट मैदान में घर से बाहर बने भारत के किले को तोड़ा। भारत की 1992 के बाद इस स्थल पर सभी दौरों में यह पहली हार है। एल्गर इस मैच में नाबाद रहे और वह टेस्ट शतक के काफी करीब थे लेकिन जीत मिलना टेस्ट शतक बनाने से चूकने से अधिक महत्वपूर्ण है। दक्षिण अफ्रीका जीत के करीब पहुंच रहा था वैसे ही एल्गर के शतक बनाने की उम्मीद बढ़ रही थी। उन्हें शतक बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा स्ट्राइक मिलनी चाहिए थी। हालांकि, उस वक्त तेंबा बावुमा ने शानदार बाउंड्री लगाई जिसके बाद एल्गर शतक बनाने से चूक गए।मान लीजिए ऐसी स्थिति भारत में बनती जहां बल्लेबाज शतक के करीब और उसके प्रशंसक इसका इंतजार कर रहे हैं लेकिन वह शतक नहीं बना पाए। उनका तर्क यह होता कि मैच में काफी समय बचा था, सात विकेट हाथ में थे फिर भी उस बल्लेबाज ने जिसने बाउंड्री लगाई उसने प्रशंसकों के प्रिय बल्लेबाज को शतक लगाने का मौका क्यों नहीं दिया। हां, टीम में व्यक्तिगत उपलब्धि के लिए जगह होती है लेकिन टीम की जरूरतें इससे बढ़कर होती हैं।