आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञों ने ऐसा रोबोट विकसित किया है, जो कि गंगा और अन्य नदियों की लहर और सौर उर्जा से चार्ज होकर पानी की गुणवत्ता, प्रदूषण, स्तर व अन्य कारकों की जानकारी देगा। यह आटोमेटिक तरह से मानीटरिंग करेगा। इसकी रिपोर्ट संस्थान या प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यालय में पहुंच जाएगी। रोबोट को यूएसए की वुड्स होल ओशनोग्राफिक इंस्टीट्यूशन के सहयोग से बनाया गया है। कई तरह के सेंसर लगे हुए हैं, जो कि पानी का हाल बताएंगे। यह 365 दिन लगातार निगरानी करेगा। पहला रोबोट बिठूर के पास गंगा पुल पर लगाया जाएगा, जबकि अन्य रोबोट के लिए जगह चिह्नित की जा रही है।मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रो. बिशाख भट्टाचार्य और उनकी टीम ने स्मार्ट मैटेरियल्स, स्ट्रक्चर्स एंड सिस्टम्स (एसएमएसएस) लेबोरेट्री में रोबोट बनाया है। यह तकनीक इंडो यूएस प्रोजेक्ट के अंतर्गत विकसित हुई है। इसको पेटेंट कराने की तैयारी चल रही है। इसका परीक्षण इसी वर्ष नवंबर में हो सकता है। कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी समेत अन्य जिलों में 100 रोबोट लगाने की प्लानिंग है।
प्रो. भट्टाचार्य के मुताबिक देश में यह अलग तरह की तकनीक पर काम करेगा। इसमें हाई सेंसर लगे हुए हैं, जो कि किसी भी तरह के पानी में बदलाव की जानकारी दे सकेंगे। यह विशेषता डाल्फिन और अन्य मछलियों में होती है, जिसकी वजह से वे समुद्र और अन्य गहरी नदियों में तरंगों के माध्यम से खतरे या दूसरे बदलाव का पता लगा लेती हैं।रोबोट सीओडी, बीओडी, कंडक्टिविटी, घुलित इन आर्गेनिक कार्बन समेत कई तरह के केमिकल्स की रिपोर्ट देगा। इसका सर्वर आइआइटी में लगाया जा रहाहै। यह फ्लोटिंग तकनीक पर आधारित रहेगा। इसको पानी में एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकता है। बहुत थोड़ा सा हिस्सा पानी के बाहर नजर आएगा।