Life Style जिंदगी का कोई भी मोड़, मुद्दा या उलझन हो, हमें सबसे ज्यादा सीख अपने घर के बुजुर्गों से ही मिलती है। रिश्ते निभाने की टिप्स हो या फिर कोई फैमली रेसिपी– यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलता रहता है। जब बात सुंदर बालों या त्वचा की हो, तो हमारे मन में सबसे पहला चेहरा हमारी दादी-नानी का ही आता है। कभी दादी के घुटने तक लटकते लंबे-घने बालों को देखकर आंखें खुली रह जाती हैं, तो कभी नानी का चमकता, कोमल चेहरा देखकर उनकी ही तरह मुलायम त्वचा पाने की लालसा होती है। तो आगे की स्लाइड में जानें ऐसी ही पांच दादी मांओं से चेहरे को बेदाग खूबसूरत बनाने के नुस्खें। पुणे की उषा प्रभाकरराव डोंगरे 77 साल की हैं। उनमें उम्र की झलक तो है, त्वचा पर झुरियां भी दिखाई देती हैं, लेकिन चेहरे की चमक आज भी बरकरार है। बढ़ती उम्र उनके चेहरे की रंगत को छू तक नहीं पाई है। इस उम्र में भी न उनके चेहरे के रंग पर कोई असर पड़ा है और न ही त्वचा की कांति कम हुई है। चेहरे पर किसी भी तरह के दाग का नामो-निशान नहीं है। उषा डोंगरे की त्वचा आज भी किसी फेयरनेस क्रीम के लिए परफेक्ट लगती है। उषा डोंगरे बताती हैं कि साबुन और क्रीम तो काफी बाद में आया और हालांकि अब वह इनका ही इस्तेमाल करती हैं, लेकिन इनके आने से पहले घरेलू और प्राकृतिक सामग्री पर निर्भरता ज्यादा थी। घर पर ही उबटन तैयार किया जाता था। रोजाना चेहरे पर दूध में हल्दी मिलाकर लगाया जाता था, जिससे चेहरे का रंग और नमी दोनों बरकरार रहती थी। गोरे रंग और बेदाग त्वचा के लिए कई महिलाएं मलाई और चंदन भी लगाती थीं। उन दिनों भी एलोवेरा काफी इस्तेमाल में लाया जाता था। एलोवेरा का जूस लगाने से चेहरा साफ और स्वच्छ रहता था। घर पर बनने वाले देसी उबटन की जगह कॉस्मेटिक ने लेनी शुरू कर दी। बाजार में स्नो, क्रीम और पाउडर आने लगे। महिलाएं इन रेडिमेड क्रीम की तरफ आर्किषत हुईं और उनका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया।
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