Spiritual/धर्म (giltv) महाभारत की हर कहानी से हमें कोई न कोई शिक्षा जरुर मिलती है। वहीं, महाभारत की घटनाएं हजारों साल पहले घट चुकी हैं लेकिन कलियुग में भी इन घटनाओं की प्रांसगिकता बनी हुई है। आप नीति, अनीति, न्याय अन्याय, अच्छे-बुरे जैसी कई बातें इन कहानियों में देख सकते हैं। महाभारत में ऐसा ही प्रसंग हैं, इसके योद्धाओं से जुड़ा हुआ। आज हम आपको चार योद्धाओं की आखिरी इच्छा के बारे में बताएंगे, मृत्यु से पहले मांगी गईं, इनकी ये इच्छा बहुत ही कठिन थीं।
जब श्रीकृष्ण ने भीमपुत्र घटोत्कच की अंतिम इच्छा के बारे में पूछा तो घटोत्कच ने विनम्रतापूर्वक कहा ‘हे प्रभु यदि मैं वीरगति को प्राप्त करूं, तो मेरे मरे हुए शरीर को ना भूमि को समर्पित करना, न जल में प्रवाहित करना, न अग्नि दाह करना मेरे इस तन के मांस, त्वचा, आँखे, ह्रदय आदि को वायु रूप में परिवर्तित करके आकाश में उड़ा देना। मेरे शरीर के कंकाल को पृथ्वी पर स्थापित कर देना। आने वाले समय में मेरा यह कंकाल महाभारत युद्ध का साक्षी बनेगा। श्रीकृष्ण ने घटोत्कच की मृत्यु के बाद उनकी अंतिम इच्छा पूरी की थी।
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