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चंद्रयान-1 ने अंतरिक्ष में पानी का लगाया था पता, नासा ने भी थपथपाई थी भारत की पीठ

ISRO Chandrayaan-1 Mission: 22 अक्टूबर 2008… यह वह तारीख है, जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन परिषद (ISRO) ने अपना पहला चंद्रयान लॉन्च किया था। यह कारनामा भारत ने अपना अंतरिक्ष मिशन शुरू करने के 45 साल बाद किया था। चंद्रयान-1 की लॉन्चिंग के साथ ही भारत अमेरिका, रूस और जापान के साथ एक विशेष क्लब में शामिल हो गया।

चांद तक पहुंचने में चंद्रयान-1 को कितने दिन लगे?
चंद्रयान-1 को चांद तक पहुंचने में पांच दिन और इसका चक्कर लगाने के लिए कक्षा में स्थापित होने के लिए 15 दिन लगे थे। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम ने एमआईपी की कल्पना की थी।

चांद की सतह से इंपैक्टर शोध यान कब टकराया?
चंद्रयान-1 के तहत भेजा गया इंपैक्टर शोध यान 18 नवंबर 2008 को आर्बिटर से अलग होकर चांद की सतह पर टकराया था। यह चांद की जिस सतह पर टकराया था, उसे जवाहर प्वाइंट नाम दिया गया।

चांद पर मिले पानी के संकेत
चंद्रयान-1 के मिनरोलॉजी मैपर इंस्ट्रूमेंट से मिले डेटा के आधार पर वैज्ञानिकों ने पाया कि चांद पर जंग लग रहा है, जो चांद के ध्रुवों पर पानी की मौजूदगी का संकेत है। चांद पर भारी मात्रा में लोहा मौजूद है, लेकिन यहां आक्सीजन और पानी होने की पुष्टि नहीं हो सकी। नासा का मानना है कि जंग लगने के पीछे की वजह धरती का वायुमंडल हो सकता है।

चंद्रयान-1 का वजन कितना था?
चंद्रयान-1 का वजन एक हजार 380 किलोग्राम था। इसमें हाई रेजोल्यूशन रिमोट सेंसिंग उपकरण लगे हुए थे, जिनके जरिए चांद के वातावरण और उसकी सतह की बारीकी से जांच की गई थी। इसमें चांद की मैपिंग, टोपोग्राफी और रासायनिक कैरेक्टर शामिल हैं। इसी के चलते 25 सितंबर 2008 को इसरो ने घोषणा की थी कि चंद्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी के सबूत खोजे हैं। चंद्रयान-1 में कुल 11 स्पेशल उपकरण लगाए गए थे।

इसरो ने अपना लैंडर कहां उतारा था?
चंद्रयान-1 से जुड़ी खास बात यह है कि इसरो ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपना लैंडर उतारा था, जहां कई बड़े गड्ढे मौजूद हैं। सबसे बड़ा गड्ढा, जिसका नाम साउथ पोल आइतकेन बेसिन है, यहीं पर स्थित है। इसकी कुल चौड़ाई 2500 किमी और गहराई 13 किमी है।

चंद्रयान-1 को कहां से लॉन्च किया गया था?
चंद्रयान-1 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी11 राकेट के जरिए लॉन्च किया गया था। इस मिशन से भारत की साख पूरी दुनिया में बढ़ी थी। चंद्रयान-1 ने चांद के चारों ओर तीन हजार बार चक्कर लगाया था। इसने करीब 70 हजार तस्वीरें भेजी थीं। इसके अलावा, उसने चंद्रमा के पहाड़ों और क्रेटर की तस्वीरें भी भेजी थी।

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