हिंदू धर्म में जब भी कोई शुभ कार्य किया जाता है तो उसमें हवन अवश्य किया जाता है। आपने हवन होते हुए जरूर देखा होगा या उसमें भाग जरूर लिया होगा। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हवन करने में मात्र आम की लकड़ियों का ही इस्तेमाल क्यों किया जाता है। किसी और पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जाता है। आइए जानते हैं इसके कारण।
आम की लकड़ी किसका प्रतीक है
हिंदू धर्म में आम की लकड़ी को पवित्रता, उर्वरता और देवत्व का प्रतीक माना गया है। इसी वजह से इन लकड़ियों का इस्तेमाल हवन जैसे बड़े अनुष्ठान में किया जाता है। हवन में आम की लकड़ी का प्रयोग करने से नए वर और वधु के जीवन में सुख-शांति व समृद्धि आती है।
शास्त्रों में हवन का महत्व
हवन किसी भी कारण से किया जा रहा हो उसमें मात्र आम की लकड़ी में ही सभी सामग्री मिलाई जाती है। आम की लकड़ी में धूप, देवदारों लकड़ी, कपूर, गुलाब की पंखुड़ी, चंदन, लोबान, अक्षत और फूल मिलाकर हवन किया जाता है। शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से आसपास की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। साथ ही जिस स्थान पर हवन कराया गया है वहां पर सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
वैज्ञानिक कारण भी जानें
वैज्ञानिकों द्वारा रिसर्च के मुताबिक, आम की लकड़ी से कार्बन डाइऑक्साइड अन्य लकड़ी की तुलना में कम मात्रा में निकलती है। साथ ही यह अधिक ज्वलनशील भी होती हैं। रिसर्च में यह भी पाया गया कि आम की लकड़ी जलने से इसमें वल्मिक एल्डिहाइड नामक गैस निकलती है जिससे कई तरह के बैक्टीरिया और जीवाणु मर जाते हैं और वातावरण भी शुद्ध हो जाता है। शुद्धता के कारण ही हवन में आम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। यह बात धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही कारणों से सिद्ध हो जाती है।