Featured

जैसे-जैसे बीत रहा समय, वैसे-वैसे टूट रही अपनों की जिंदगी की आस

जम्मू संभाग के रामबन जिले के खूनी नाला इलाके में वीरवार देर रात निर्माणाधीन एडिट टनल धंसने से हुए हादसे के मलबे में दफन लोगों के जीवित होने के पहले से ही आस कमजोर थी और शुक्रवार शाम को गिरे पहले भी ज्यादा मलबे ने किसी चमत्कार की उम्मीद को भी पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। शायद यही वजह रही कि मौसम बदलने के बाद बचाव अभियान को स्थगित करना पड़ा। दूसरे दिन पहले से भी ज्यादा मलबा गिरने की वजह से अब मलबा हटाने में और अधिक समय लगेगा। हालांकि आज शनिवार सुबह मौसम में सुधार देख बचाव अभियान को एक बार फिर तेजी से शुरू कर दिया गया है।जम्मू संभाग के रामबन जिले के खूनी नाला इलाके में वीरवार देर रात निर्माणाधीन एडिट टनल धंसने से हुए हादसे के मलबे में दफन लोगों के जीवित होने के पहले से ही आस कमजोर थी और शुक्रवार शाम को गिरे पहले भी ज्यादा मलबे ने किसी चमत्कार की उम्मीद को भी पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। शायद यही वजह रही कि मौसम बदलने के बाद बचाव अभियान को स्थगित करना पड़ा। दूसरे दिन पहले से भी ज्यादा मलबा गिरने की वजह से अब मलबा हटाने में और अधिक समय लगेगा। हालांकि आज शनिवार सुबह मौसम में सुधार देख बचाव अभियान को एक बार फिर तेजी से शुरू कर दिया गया है।आपको बता दें कि वीरवार रात को खूनी नाला में निर्माणधीन टनल नंबर-3 की एडिट टनल निर्माण के दौरान अचानक हुए भूस्खलन से टनल धंस गई। हादसे की सूचना मिलते ही सेना, पुलिस, अर्धसैनिकबलों व आपदा प्रबंधन दल व प्रशासन ने राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया। तीन घायलों को तो निकाल कर जिला अस्पताल रामबन भेज दिया गया, जबकि हादसे के दौरान टनल के अंदर काम कर रहे नौ लोग मलबे में दब कर लापता हो गए। रात से जारी अभियान में सुबह तक लापता किसी के भी न मिलने से लापता लोगों के जीवित बचे होने की संभावना बेहद कम हो गई थी।

इसकी मुख्य वजह यह भी थी कि टनल निर्माण कर रही सरला कंपनी ने एडिट टनल का निर्माण कुछ ही दिन पहले शुरू किया। अभी चार मीटर ही एडिट टनल का ही निर्माण हो पाया था। ऐसे में अंदर काम करने वालों के लिए सुरक्षित बचने के लिए अंदर खाली जगह होने की संभावना न के बराबर थी। यदि एडिट टनल का निर्माण अधिक हो चुका होता तो उसके अंदर काम करने वालों को खुद को बचाने की संभावना अधिक होती। टनल धंसने व पहाड़ का सैकडों टन मलबा नीचे काम कर रहे लोगों और मशीनों पर गिरने की वजह से मलबे में दबे लोगों के जीवित होने की आस को और भी कम कर दिया है।

मलबे से क्षतिग्रस्त मशीनों की हालत और दोपहर को लापता लोगों में से एक का शव बरामद होने के बाद तो लापता लोगों के जीवित होने की उम्मीद और भी कमजोर हो गई। इसके बाद मलबा हटाने का काम युद्ध स्तर पर जारी रहा, लेकिन शाम को अचानक उपर से और मलबा आ गिरा। इस बार तो पहले से भी ज्यादा मलबा गिर गया। इसके साथ ही किसी चमत्कार से दबकर लापता हुए लोगों के जीवित होने की उम्मीद पूरी तरह टूट गई, क्योंकि जितना मलबा गिरा है, उसे हटाने में एक से डेढ़ महीने का समय और लगने की संभावना है। यह भी तब संभव है जब मौसम साथ देगा।रामबन जिला के जिस खूनी नाला इलाके में वीरवार रात को टनल धंसने से हादसा हुआ, उसे खूनी नाला नाम इस इलाके में होने वाले हादसों व मौतों के कारण मिला है। स्थानीय जानकारों के अनुसार, खूनी नाला इलाके का सही नाम बई नाला है, लेकिन इस जगह पर लगातार होने वाले सड़क हादसों और उसके कारण होने वाली मौतों की वजह से इसे खूनी नाला के नाम से पुकारे जाने लगा। बताया जाता है कि पहले जमाने में श्रीनगर जाने के पुराने रास्ते में यहां पर एक सुरंग हुआ करती थी, जिसमें से श्रीनगर जाने वाले लोग गुजर कर दूसरी तरफ जाते थे, लेकिन इस जगह पर टनल के उपर पहाड़ से पत्थर गिरते थे, जिसकी चपेट में गुजरने वाले लोग और वाहन चालक आ कर मारे जाते थे। इसके साथ ही इस जगह पर सड़क हादसे भी अधिक होते थे। वर्ष 1960-70 तक इसी रास्ते से आवागमन होता था। इसके पुराने मार्ग को छोड़ कर नया पुल वाला रास्ता बनाया गया, जिससे मौजूदा समय में आवागमन हो रहा है। इस पुल से देखने पर थोड़ी दूरी पर वह पुरानी सुरंग अभी भी नजर आती है।

जिला उपायुक्त रामबन मसर्रत इस्लाम ने कहा कि पहाड़ों पर भूस्खलन होना प्राकृतिक है। खूनी नाला में टनल का अभी चंद रोज पहले ही निर्माण शुरु हुआ था। सुबह से ही ज्यादातर खबरों में इसे टनल धंसने की घटना बता रहे हैं। मुख्य टनल पूरी सुरक्षित है, धंसने वाली टनल एडिट टनल थी। इसका प्रयोग खोदाई के दौरान मलबे को निकालने और सामान अंदर ले जाने के लिए किया जाना था। दुर्भाग्य रहा कि काम मुहाने पर चल रहा था और रात के समय भूस्खलन होने से सारा मलबा नीचे आ गया, जिससे नीचे काम कर रहे लोग मलबे में दब गए। हादसा कैसे हुआ, इसका पता लगाने के लिए जांच की जाएगी। हादसे में घायलों और मृतकों के स्वजनों को इपीएफओ, एनएचएआइ, निर्माण कंपनी से सभी प्रकार के एक्स ग्रेशिया लाभ मिलेंगे। इसके अलावा जम्मू कश्मीर सरकार जो भी मुआवजा घोषित करेगी वह भी दिया जाएगा।

Related posts

बैंगलोर के खिलाफ मिली हार तो टूटेगा पंजाब के प्लेआफ का सपना

GIL TV News

रखना है ब्लड प्रेशर को कंट्रोल तो खाएं यह आहार

GIL TV News

इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने कैंसिल किये ईवन सेमेस्टर के एग्जाम

GIL TV News

Leave a Comment