सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर किए गए एक शीतकालीन वायु गुणवत्ता विश्लेषण में सामने आया है कि जाड़े का प्रदूषण अब सिर्फ महानगरीय नहीं बल्कि राष्ट्रीय चुनौती बन रहा है। 2021-22 (15 अक्टूबर से 28 फरवरी) के दौरान सभी क्षेत्रों में प्रदूषण बढ़ा और अलग-अलग तीव्रता के साथ उच्च्च स्तर पर रहा। हालांकि अधिकांश क्षेत्रों में पीएम 2.5 का समग्र क्षेत्रीय औसत पिछली सर्दियों की तुलना में कम था, लेकिन कई क्षेत्रों में धुंध के एपिसोड में गंभीर वृद्धि दर्ज की गई। सीएसई की कार्यकारी निदेशक अनुमिता राय चौधरी कहती हैं कि यह विश्लेषण सीएसई की अर्बन डेटा एनालेटिक्स लैब के 2021-22 विंटर एयर क्वालिटी ट्रैकर इनिशिएटिव के लिए किया गया है।प्रदूषण से निपटने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तत्काल काम करने की जरूरत है। इसके लिए प्रदूषण के प्रमुख क्षेत्रों में त्वरित सुधार और कार्रवाई की आवश्यकता है। जैसे – वाहन, उद्योग, बिजली संयंत्र और अपशिष्ट प्रबंधन, वार्षिक वायु प्रदूषण। यह विश्लेषण केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आनलाइन पोर्टल सेंट्रल कंट्रोल रूम फार एयर क्वालिटी मैनेजमेंट से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध दानेदार रीयल टाइम डेटा (15 मिनट का औसत) पर आधारित है। 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 161 शहरों में फैले कंटीन्यूअस एम्बिएंट एयर क्वालिटी मानिट¨रग सिस्टम के तहत 326 आधिकारिक स्टेशनों से आंकड़े लिए गए हैं।