19वीं सदी से ही अफगानिस्तान महाशक्तियों के लिए कूटनीति का अड्डा रहा है। 19वीं सदी के प्रारंभ में यहां ब्रिटेन की सेना की मौजुदगी थी। 20वीं सदी में रूसी सेना और 21वीं सदी में अफगानिस्तान अमेरिका का सैन्य ठिकाना बना। यह संयोग रहा कि हर बार शुरुआती जीत के बाद अंतत: तीनों महाशक्तियों को अफगानिस्तान में मात खानी पड़ी। आखिर अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबानी लड़कों के पास कैसे अत्याधुनिक हथियारों से लैस हो गए। एक अनुमान के मुताबिक इस समय तालिबान के पास तुर्की से अधिक सैन्य उपकरण मौजूद हैं।वर्ष 1989 में अफगानिस्तान में रूसी सेना की वापसी के बाद पहले यहां के मुजाहिद्दीन और बाद में तालिबानी लड़ाके रूसी AK 47 के साथ T-55 टैंकों पर सवार नजर आते थे। 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद तालिबानी लड़ाके अमेरिकी बख्तरबंद फौजी गाड़ी हमवी पर अमेरिका में ही बनी M16 रायफल के साथ नजर आ रहे हैं। फोर्ब्स के मुताबिक अमेरिका अफगानिस्तान में 8,84,311 आधुनिक सैन्य उपकरण छोड़ आया है। इनमें M16 रायफल, M4 कार्बाइन, 82 mm मोर्टार लॉन्चर जैसे इंफेंट्री हथियारों के साथ सैन्य वाहन, ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर, A29 लड़ाकू विमान, नाइट विजन, कम्युनिकेशन और सर्विलांस में इस्तेमाल होने वाले उपकरण शामिल हैं। फोर्ब्स ने यह आंकड़ा अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन के डिपार्टमेंट लॉजिस्टिक्स एजेंसी (DLA) के डेटाबेस को स्टडी कर इकट्ठा किया है।
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