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धरती की संजीवनी है गेहूं के जवारे

 इस बात से तो हम सभी वाकिफ है कि सेहतमंद शरीर के लिए अनेक तरह के पौष्टिक फल, फूल और अन्य आहारों का सेवन करना काफी जरूरी है। चिकित्सकों के अनुसार गेहूं के जवारे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। इसे पृथ्वी की संजीवनी भी कहा जाता है, जो व्यक्ति को एक तरह का नया जीवनदान दे सकते हैं। इसके उपयोग से आंतों की सूजन, रक्त की कमी, अल्सर, उच्च रक्तचाप, दांत संबंधी समस्या, सर्दी, चर्म रोग, अस्थमा,पाचन संबंधी रोग, किडनी, कैंसर समेत कई अन्य समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।गेहूं के जवारे का वनस्पतिक नाम ट्रिटकम वेस्टिकम है। इसे गेहूं का जवारा या घास कहना सही नहीं है, क्योंकि ये असल में अंकुरित गेंहू होते हैं। जब गेहूं के बीजों को अच्छी उपजाऊ वाली जमीन या मीटी के बर्तन में खाद मिली हुई मिट्टी में बोया जाता है तो कुछ ही दिनों में ये अंकुरित होकर बढ़ने लगते हैं। ऐसे में इनमें पत्तियां निकली शुरू हो जाती हैं। इस दौरान जब ये अंकुर 5 से 6 पत्तों के हो जाते हैं तो अंकुरित बीज का वो भाग जवारा कलाता है। गेहूं के जवारे का रस का सेवन करने से शरीर को कई तरह से लाभ होते हैं। इसमें क्लोरोफिल मौजूद होता है, जो कई रोगों से लड़ने में मददगार साबित होता है। इसके अलावा इसमें अमाइनो एसिड्स, वसा, विटामिन, शर्करा, एंजाइम्स और खनिज मौजूद होते हैं।

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