छठ पूजा के व्रतधारी आज अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। लोगों ने इसे लेकर पूरी तैयारियां कर ली हैं। छठ पर्व में मंदिरों में पूजा नहीं की जाती है इसकी पूजा नदी, तालाब, कुंड, सरोवर या समुद्र क्षेत्र में की जाती है। लेकिन कोरोना के चलते सरकार द्वारा सार्वजनिक स्थलों पर भीड़ लगाने और कई घाटों पर पूजा की मनाही है। ऐसे में आप अपने घरों में रहते हुए भी छठ पूजा कर सकते हैं।चार दिवसीय महापर्व की शुरुआत हो चुकी है, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय खाय से शुरू होने वाले व्रत के दौरान छठव्रती स्नान एवं पूजा पाठ के बाद शुद्ध अरवा चावल, चने की दाल और कद्दू की सब्जी ग्रहण करते हैं। दूसरे दिन खरना होता है, इसके बाद शुरू होता है 36 घंटे का ‘निर्जला व्रत’। छठ महापर्व के तीसरे दिन शाम को व्रती डूबते सूर्य की आराधना करते हैं और अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हैं। पूजा के चौथे दिन व्रतधारी उदीयमान सूर्य को दूसरा अर्घ्य समर्पित करते हैं। इसके पश्चात 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है और व्रती अन्न जल ग्रहण करते हैं।नहाय खाय और दूसरे दिन खरना के बाद छठ का तीसरा दिन महत्वपूर्ण होता है। इस दिन सूर्यदेव को संध्या के समय अर्घ्य देकर उनकी पूजा की जाती है। अगर आप बाहर नहीं जा पा रहे हैं तो आप पूजन घर पर भी कर सकते हैं। इसके लिए आप खुले मैदान में या घर की छत या बालकनी में यह पूजन करें। आप इसके लिए एक बड़े टब में पानी भरकर खड़े हो जाएं और सूर्य को अर्घ्य देकर अपनी पूजा संपन्न कर सकते हैं। सूर्य भगवान को अर्घ्य देते समय ध्यान रखें कि सूर्य की किरणों का प्रतिबिंब पानी में दिखना चाहिए। इसी दौरान सूर्य को जल एवं दूध चढ़ाकर प्रसाद भरे सूप से छठी मैया की पूजा कर सकते हैं। बाद में रात्रि को छठी माता के गीत गाए जाते हैं और व्रत कथा सुनी जाती है, जो आप अपने घर रहते हुए भी कर सकते हैं।छठ का चौथा दिन समापन का होता है। आप अगले दिन जब छठ पर्व का समापन होता है तो प्रात: काल में सूर्य को ऐसे ही अर्घ्य दे सकते हैं और देने के बाद व्रत पारण कर सकते हैं।
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