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रिसर्च में खुलासा, Facebook पर फर्जी खबरों का पता लगाना आसान नहीं

फेसबुक पर गलत सूचना या फर्जी खबरों का पता लगाना आसान नहीं है। एक अध्ययन के मुताबिक सोशल नेटवर्किंग साइट तथ्य और कल्पना के बीच के फर्क को और मुश्किल बना देता है। ‘मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम क्वार्टरली’ नामक पत्रिका में मंगलवार को प्रकाशित इस अध्ययन के मुताबिक प्रतिभागियों के शरीर में एक वायरलेस इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (ईईजी) हेडसेट लगाया गया था जो फेसबुक चलाने के दौरान उनके मस्तिष्क की गतिविधि पर नजर रखता था। उन्हें फेसबुक पर आये राजनीतिक समाचारों के शीर्षक पढ़ने और खबरों की विश्वसनीयता के मूल्यांकन करने को कहा गया।

शोधकर्ताओं ने कहा कि प्रतिभागियों ने केवल 44 प्रतिशत खबरों का ही सही ढंग से मूल्यांकन किया, उनमें से ज्यादातर लोगों ने उन खबरों को सच माना जो उनके स्वयं के राजनीतिक विचारों से मेल खाते थे। अमेरिका में ऑस्टिन स्थित टेक्सास विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर पैट्रिकिया मोरावेक ने कहा कि हम सभी मानते हैं कि हम फर्जी खबर का पता लगाने में औसत व्यक्ति से बेहतर हैं, लेकिन सामान्यत: यह संभव नहीं है।’’ मोरावेक ने एक बयान में कहा कि सोशल मीडिया का माहौल और हमारे अपने पक्षपाती विचार हम सब को उससे कहीं ज्यादा बुरा बना देता है, जितना कि हम सोचते हैं।

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