Spiritual/धर्म

नवरात्रि के पावन दिनों में मां की आराधना करने से होती है हर मनोकामना पूरी

शारदीय नवरात्रि के पावन दिनों में भक्तगण देवी दुर्गा की पूजा व आराधना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि अगर इन नौ दिनों में सच्ची श्रद्धा और भक्ति-भाव से पूजा करते हैं, उनके सभी कष्ट देवी हर लेती हैं और उनके सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। नवरात्रि का यह पर्व हिन्दू धर्म में ही शुभ और पावन माना जाता है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको नवरात्रि पर्व की महिमा के बारे में बता रहे हैं-

जानिए नवरात्रि का महत्व

हिंदू धर्म में नवरात्रि के पावन दिनों में मां की आराधना करने का विशेष महत्व है। शारदीय नवरात्रि को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इसलिए, लोग इन दिनों में पूरी श्रद्धा-भाव से माता का पूजन करते हैं और उपवास रखते हैं।

ऐसे की जाती है पूजा

नवरात्रि में मां का पूजन विशिष्ट तरह से किया जाता है। भारत के अलग-अलग राज्यों में इसे विभिन्न तरह से मनाया जाता है। पहले दिन कलश की स्थापना की जाती है जिसे घटस्थापना भी कहा जाता है। वहीं, दुर्गा उत्सव पश्चिम बंगाल में नवरात्रि के अंतिम चार दिनों तक यानी षष्ठी से लेकर नवमी तक मनाया जाता है। इसी तरह, गुजरात में नवरात्रि के नौ दिनों तक चलने वाले उत्सव के दौरान गरबा नृत्य करके मां की आराधना की जाती है।

नवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

नवरात्रि के पर्व को सेलिब्रेट करने का विशेष महत्व है। यूं तो नवरात्रि का त्योहार साल में चार बार मनाया जाता है, लेकिन शारदीय नवरात्रि को असत्य पर सत्य की जीत के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। शास्त्रों में इससे जुड़ी दो पौराणिक कथाएं हैं-

पहली कथा के अनुसार, महिषासुर नाम के एक असुर ने कड़ी तपस्या करके भगवान ब्रह्मा से वरदान मांगा था कि कोई भी देवता, दानव या पृथ्वी पर रहने वाला व्यक्ति उसे मार नहीं सकता। वरदान पाने के बाद महिषासुर ने तीनों लोकों में आतंक मचाना शुरू कर दिया। जिसके बाद देवी मां ने  महिषासुर का वध किया। देवी मां और महिषासुर के बीच लगातार नौ दिनों तक भयंकर युद्ध हुआ। किंवदंतियों के अनुसार महिषासुर बहुत चालाक था। वह लड़ाई के दौरान वह देवी को भ्रमित करने के लिए अपना रूप बदलता रहा। दसवें दिन जब राक्षस ने भैंस का रूप धारण किया, तो देवी दुर्गा ने अपने त्रिशूल से उसका वध कर दिया।

वहीं दूसरी कथा के अनुसार, भगवान राम ने रावण से युद्ध करने से पहले नौ दिनों तक देवी दुर्गा की पूजा की थी। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर देवी मां ने भगवान राम को विजय का आशीर्वाद दिया। दसवें दिन राम ने रावण को परास्त किया और लंका पर विजय प्राप्त की। इस दिन को विजयदशमी या दशहरा के रूप में मनाया जाता है।

 

 

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