राजनीति

अशोक गहलोत के भाई के खिलाफ CBI ने दर्ज किया मामला, राजस्थान CM बोले- परिवार के लोगों का क्या कसूर है

आज सुबह सवेरे राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के भाई के आवास समेत 3 राज्यों में 16 अन्य परिसरों पर सीबीआई ने छापेमारी की थी। इस छापेमारी के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत के भाई अग्रसेन गहलोत और 14 अन्य के खिलाफ सीबीआई ने मामला भी दर्ज कर लिया है। अब इसको लेकर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भी प्रतिक्रिया सामने आ गई है। अशोक गहलोत ने साफ तौर पर कहा है कि परिवार के लोगों का इसमें कसूर है। अशोक गहलोत ने कहा कि परिवार के लोगों का क्या कसूर है? मेरे परिवार और मेरे भाई का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। पिछले 40-45 सालों से मेरा भाई अपना खुद का व्यवसाय कर रहा है, किसी भी तरह से वो राजनीति में शामिल नहीं है। भाजपा पर हमला कतरे हुए गहलोत ने कहा कि जितना अधिक वे (भाजपा) लोगों को परेशान करेगी, उतनी ही अधिक प्रतिक्रिया का सामना उन्हें करना पड़ेगा। केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि इससे वे घबराने वाले नहीं हैं और इस तरह की कार्रवाई का नुकसान अंतत: भाजपा और केंद्र सरकार को ही होगा। गहलोत ने कहा कि मैं अगर दिल्ली में सक्रिय हूं या मैंने राहुल गांधी के आंदोलन में भाग लिया तो इसका बदला मेरे भाई से क्यों लिया जाता है? यहां हमारी सरकार पर संकट साल 2020 में भी आया, तब भी भाई के यहां ईडी की छापेमारी हुई। उन्होंने कहा कि इसे उचित नहीं कहा जाता सकता और इससे वह घबराने वाले नहीं हैं। आपको बता दें कि ईडी द्वारा कांग्रेस नेता राहुल गांधी को नोटिस जारी किए जाने के खिलाफ कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं के आंदोलन में भाग लेने के लिए मुख्यमंत्री गहलोत कई दिन से दिल्ली में थे।वहीं, सीबीआई के अधिकारियों का एक दल छापेमारी के लिए जोधपुर के मंडोर में अग्रसेन गहलोत के आवास पर भी पहुंचा था। अधिकारियों ने कहा कि अगर एजेंसी को मामले से संबंधित कोई नयी सामग्री मिलती है तो छापेमारी अभियान का विस्तार किया जा सकता है। सीबीआई ने कहा है कि यह मामला पोटाश म्यूरेट (एमओपी) के आयात में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है, जिसे पोटेशियम क्लोराइड भी कहा जाता है। इसे सरकार द्वारा दी जाने वाली लगभग 80 प्रतिशत सब्सिडी पर किसानों को वितरित किया जाना था। आरोप है कि 2007-09 के बीच किसानों के लिए मंगाए गए इस पोटाश म्यूरेट का निर्यात दक्षिण पूर्व एशियाई देशों, सऊदी अरब और अन्य बाजारों में ‘औद्योगिक सॉल्ट’ के रूप में किया गया था। सीबीआई ने आरोप लगाया कि खाद पर सरकारी सब्सिडी भी संबंधित कंपनियों के बीच फर्जी लेनदेन के माध्यम से आरोपियों को मिली।

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