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नींद पूरी होने के बाद भी रहती है कमज़ोरी

 विटामिन-B12 एक ऐसा पोषक तत्व है, जिसकी मदद से हमारा शरीर कई तरह के काम करता है, जैसे- डीएनए सिन्थसिस, एनर्जी का उत्पादन और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र कार्य। यह विटामिन कई तरह के फूड्स में पाया जाता है, लेकिन फिर बी12 की शरीर में कमी आम बात है।

इसकी कमी के कारण लोग रात भर की नींद लेकर भी सुबह तरोताज़ा महसूस नहीं करते। सुबह उठते ही उन्हें मॉर्निंग सिकनेस या कमज़ोरी लगने लगती है। सिर्फ इतना ही नहीं खुद को बिस्तर से उठाना तक मुश्किल हो जाता है। विटामिन बी12 की शरीर में कमी खान-पान में कमी या फिर किसी बीमारी के कारण होती है। एक शोध के अनुसार, 60 साल की उम्र से ऊपर के करीब 20 प्रतिशत लोग विटामिन-बी12 की कमी से जूझते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि खाने से विटामिन-बी12 को अवशोषित करने की क्षमता उम्र के साथ घटती जाती है, इसलिए इसकी कमी आमतौर पर उम्रदराज़ लोगों में देखी जाती है।हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि बच्चे, नौजवान लोग इसकी कमी से नहीं जूझ सकते। साथ ही यह एक ऐसी कमी है जिसे ज़्यादातर मामलों में नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है या फिर सही तरह से डायग्नोज़ नहीं किया जाता। जिसकी वजह से कमज़ोरी, चक्कर आना, भूख न लगना और हर वक्त थकावट आपको लगातार परेशान करती है। तो ऐसे में आइए जानें कि ऐसे कौन-से फूड्स हैं, जो कमज़ोरी को दूर करने का काम करते हैं।

मछली में ओमेगा-3 के साथ विटामिन-बी12 की भी अच्छी मात्रा होती है। खासतौर पर टूना, सालमन, सार्डीन्स और ट्रॉट जैसे मछलियों में विटामिन-बी12 की उच्च मात्रा पाई जाती है। इसके अलावा क्लैम्स में भी इस विटामिन की भरपूर मात्रा होती है।

मांस

चिकन, मटन, बीफ में विटामिन-बी12 की अच्छी मात्रा होती है। खासतौर पर ऑर्गन मीट में जैसे लिवर या किडनी में विटामिन-बी12 भरपूर होता है।

दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स

दूध और दही, चीज़ जैसे अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स भी प्रोटीन और कैल्शियम के अलावा कई विटामिन्स और खनीज से भी भरे होते हैं, जिसमें बी12 भी शामिल है। दिलचस्प बात यह है कि अध्ययनों से पता चला है कि आपका शरीर बीफ, मछली या अंडे की तुलना में दूध और डेयरी उत्पादों से बेहतर तरीके से विटामिन-बी12 को अवशोषित करता है।

अंडे

अंडे भी प्रोटीन के साथ विटामिन-बी, विशेष रूप से बी 2 और बी 12 का एक बड़ा स्रोत हैं। रिसर्च से पता चलता है कि अंडे की ज़र्दी में सफेद हिस्से की तुलना विटामिन-बी12 की ज़्यादा मात्रा होती है। अंडे की जर्दी में मौजूद बी12 को अवशोषित करना भी आसान होता है। यही वजह है कि सिर्फ सफेदी खान की जगह पूरा अंड़ा खाने की सलाह दी जाती है।

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