Spiritual/धर्म

भारत की गली-गली, कोने-कोने, पेड़, नदी, पोखर में विराजे कंकर-कंकर में शंकर

वाधिदेव शिव, उनकी पत्नी पार्वती और दोनों पुत्र कार्तिकेय व गणेश। सनातन धर्म व संस्कृति में यह पूरा परिवार ही पूजित व प्रतिष्ठित है। कारण है इस परिवार का कल्याणकारी, लोक मनोहारी व गणतांत्रिक स्वरूप। इस परिवार की आराधना भारत को संस्कृति के विराट सूत्र में बांधती है। शंकराचार्य द्वारा स्थापित श्रीनगर का देवालय हो या फिर दक्षिण में रामेश्वरम की स्थापना, द्वादश ज्योतिर्लिंग हों या फिर घर-घर में शिवलिंग की उपासना। महादेव द्वैत-अद्वैत सभी भावों में तिरोहित होकर लोक मानस के चित्त में रमे हुए हैं। हमारा देश गणतंत्र है। शिव का समावेशी लोकतंत्र। यहां गणनायक शिव के पुत्र गणेश हैं। भारत की हर गली में, हर गांव में, हर राज्य में गण की सत्ता है। महादेव लोकतांत्रिक देवता हैं। वे यदि देवताओं, राक्षसों, भूत-पिशाचों, असहायों के आश्रयदाता हैं तो देवताओं के सेनापति उनके पुत्र कार्तिकेय हैं। पार्वती अन्नपूर्णा हैं, जो माता की भांति संसार में किसी को भूखा नहीं रहने देती हैं।

महादेव के प्रति लोक में आस्था अद्भुत है। भारत की गली-गली, कोने-कोने, पेड़, नदी, पोखर में विराजे कंकर-कंकर में शंकर की सत्ता है। हर हर महादेव का नारा लगाते देश के कोने-कोने में कांवड़ लिए अपने महादेव को जल अर्पित करने लंबी यात्रा को पैदल चलकर संपन्न करते श्रद्धालु कांवड़िए शिवभक्ति के प्रत्यक्ष पावन उदाहरण हैं।

महादेव सभी गणों के अधिनायक हैं। सभी को आशीर्वाद प्रदान करते हैं और कोई भी अपनी तपस्या द्वारा उनको प्राप्त कर सकता है। मान्यता यह है कि जो भी व्यक्ति उनके पास सहायता के लिए आता है, शिव जी उसे तत्क्षण संतुष्ट करते हैं। वे सभी को आशीर्वाद देते हैं। विलक्षण बात यह है कि शिव के विशाल परिवार में बैल भी है और बाघ भी, वहीं सांप भी हैं व मोर भी। उनके भक्तों में राम भी हैं और रावण भी! आदिवासी हो या नगरवासी, राजा-महाराजा, पुरंदर सबके हैं महादेव। भारतवर्ष की मूल प्रकृति में महादेव की पूजा एक ऐसे लोकदेवता की स्थापना है, जो वनवासी हैं, अत्यंत सरल हैं। उनकी आराधना के लिए किसी भी प्रकार के आडंबर की आवश्यकता नहीं। महादेव का संपूर्ण व्यक्तित्व समावेशी है। सभी उनकी आराधना करते हैं, सभी उनका आशीष पाने के आकांक्षी और अधिकारी हैं।

Related posts

ज्येष्ठ पूर्णिमा पर करें ये छोटे-छोटे से उपाय

GIL TV News

होली पर क्यों पी जाती है भांग? शिव जी से जुड़ा है इसका अस्तित्व

GIL TV News

मार्गीशीर्ष पूर्णिमा

GIL TV News

Leave a Comment