Spiritual/धर्म

आज मकर संक्रांति के दिन करें आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ

आज मकर संक्रांति या उत्तरायण का पर्व मानाया जा रहा है। सनातन धर्म में इस पर्व का विशेष महत्व है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं तथा इसी दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं। आज खरमास की भी समाप्ति होती है, जिस कारण आज से शुभ कार्यों की शुरूआत होती है। मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य के पूजन का विधान है। आज के दिन प्रातः काल या पुण्य काल में पवित्र नदियों में स्नान – दान कर सूर्य पूजन किया जाता है। मकर संकांति के दिन सूर्य पूजन में आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। आदित्यहृदय स्तोत्र का वर्णन वाल्मीकि रामायण के युद्ध काण्ड में मिलता है। रामायण के अनुसार आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ स्वयं प्रभु श्री राम ने युद्ध के पहले किया था। मकर संक्रांति के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ नौकरी में पदोन्नति, धन प्राप्ति और आत्मविश्वास के साथ-साथ समस्त कार्यों में सफलता प्रदान करता है।

आदित्यहृदय स्तोत्र

ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम् ।

रावणं चाग्रतो दृष्टवा युद्धाय समुपस्थितम् ॥1॥

दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम् ।

उपगम्याब्रवीद् राममगरत्यो भगवांस्तदा ॥2॥

राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्यं सनातनम् ।

येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसे ॥3॥

आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम् ।

जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम् ॥4॥

सर्वमंगलमांगल्यं सर्वपापप्रणाशनम् ।

चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वधैनमुत्तमम् ॥5॥

रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम् ।

पूजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम् ॥6॥

सर्वदेवतामको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावनः ।

एष देवासुरगणाँल्लोकान् पाति गभस्तिभिः ॥7॥

एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः ।

महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमो ह्यपां पतिः ॥8॥

पितरो वसवः साध्या अश्विनौ मरुतो मनुः ।

वायुर्वन्हिः प्रजाः प्राण ऋतुकर्ता प्रभाकरः ॥9॥

आदित्यः सविता सूर्यः खगः पूषा गर्भास्तिमान् ।

सुवर्णसदृशो भानुहिरण्यरेता दिवाकरः ॥10॥

हरिदश्वः सहस्रार्चिः सप्तसप्तिर्मरीचिमान् ।

तिमिरोन्मथनः शम्भूस्त्ष्टा मार्तण्डकोंऽशुमान् ॥11॥

हिरण्यगर्भः शिशिरस्तपनोऽहरकरो रविः ।

अग्निगर्भोऽदितेः पुत्रः शंखः शिशिरनाशनः ॥12॥

व्योमनाथस्तमोभेदी ऋम्यजुःसामपारगः ।

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