मकर संक्रांति पर्व ब्रह्म और आनंद योग में मनाया जाएगा। यह योग 29 साल बाद बन रहा है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने को मकर संक्रांति पर्व के नाम से जाना जाता है। यह पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज का कहना है कि मान्यतानुसार इस दिन गंगा में स्नान एवं दान पुण्य करने से व्यक्ति मोक्ष प्राप्ति का अधिकारी होता है।स्वामी पूर्णानंदपुरी ने बताया कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य मकर राशि में गोचर करेंगे, साथ ही शनि देव भी मकर राशि में विराजमान होंगे। सूर्य एवं शनि की युति से बने ब्रह्म और आनंद का शुभ योग 29 साल बाद देखने को मिल रहा है। हालांकि, इस वर्ष मकर संक्रांति तिथियों को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है। उन्होंने तिथियों से जुड़े असमंजस की स्थिति को दूर करते हुए बताया कि इस वर्ष 14 जनवरी को दोपहर 2:30 बजे सूर्य मकर राशि में गोचर कर रहे हैं। अतः 16 घटी पहले और 16 घटी बाद पुण्यकाल विशेष महत्व रखता है । इस बार पुण्यकाल 14 जनवरी को प्रातः 7:15 से प्रारंभ होकर सांय 5:41 तक रहेगा। इसलिए 14 जनवरी को ही मकर संक्रांति मनाना उचित रहेगा। पूजन विधि सरल है। इस दिन प्रातः स्नान करने के उपरांत लाल फूल और अक्षत सहित जल को भगवान सूर्य को अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही गीता के पहले अध्याय का पाठ भी करना आवश्यक है । मकर संक्रांति पर गुड़ युक्त तिल को स्वर्ण पात्र में देने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। यदि संभव हो सके तो अपनी सामर्थ्य के अनुसार किसी जरूरतमंद को अन्न, कंबल, तिल, काली उड़द, चीनी, घी और खिचड़ी का दान कर सकते हैं।संक्रांति के महत्व के विषय में उन्होंने बताया कि इस पर्व को भारत के विभिन्न जगहों पर उत्तरायण के नाम से जाना जाता है, इस दिन गंगा स्नान, व्रत, कथा एवं दान करने से मनुष्य पुण्य का भागी बनता है।
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