उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर मतांतरण की परत दर परत खुलने के दौरान ही इसमें विदेशों से भी बड़ी मात्रा में धन मिलने का मामला सामने आया है। उत्तर प्रदेश में मतांतरण के मामले में 16 लोगों को गिरफ्तार करने वाली एटीएस की चार्ज शीट में मतांतरण के लिए विदेशों से फंडिंग का पता चला है।उत्तर प्रदेश में महानगर के साथ ही छोटे शहर व कस्बों में बड़े पैमाने पर मतांतरण की जांच कर रही उत्तर प्रदेश एटीएस को इस खेल में मतांतरण के सिंडिकेट के खातों की पड़ताल में खाड़ी देशों के साथ अमेरिका व ग्रेट ब्रिटेन से भी फंडिंग का पता चला है।इसके साथ ही एसटीएफ की गिरफ्त में आए वडोदरा के निवासी रसलाहुद्दीन की संस्था अमेरिकन फेडरेशन ऑफ मुस्लिम ऑफ इंडियन ओरिजिन को पांच वर्ष में 28 करोड़ रुपये मिले, जो उसने उमर गौतम को दिए थे। इसके साथ 22 करोड़ रुपये कलीम की संस्था अल हसन एजुकेशनल सोसायटी को भेजे गए। यह विदेशी फंड दुबई, तुर्की व अमेरिकी संस्थाओं ने भेजा था।चार्जशीट के मुताबिक पता चला कि उमर गौतम व जहांगीर आलम ने अपने गिरोह के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों के साथ मिलकर एक सिंडिकेट भी बनाया था। इसका उद्देश्य धर्म बदलने वाले लोगों को उनके मूल धर्म के प्रति विद्वेष पैदा करना था। जिससे देश की अखंडता व एकता को बढ़ाने वाले बंधुता पर प्रतिकूल असर पड़ा है। उमर गौतम के सिंडिकेट को महाराष्ट्र में संचालित करने के आरोपी भूप्रिय बिंदो, कौसर आलम, फराज शाह व प्रसाद कावरे की मुख्य भूमिका है। चार्जशीट में कहा गया कि आरोपियों को धर्मांतरण के लिए विदेशों से मौलाना कलीम सिद्दीकी के जामिया इमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट और हवाला के जरिए करोड़ों रुपये की फंडिंग की गई है। आरोपी पूछताछ में इस धन के बारे में कोई ब्योरा नहीं दे सके हैं।
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