चरणजीत सिंह चन्नी की ताजपोशी के बाद पंजाब कांग्रेस में नए समीकरण बनने की संभावना है। इस पर विपक्षी दलों की अभी से नजरें जम गई हैं। पंजाब कांग्रेस की कलह में विपक्षी दल अपनी अपनी संभावनाएं तलाशने लगे हैं। इन दलों की नजरें अब कैप्टन अमरिंदर सिंह के अगले कदम पर भी है। पंजाब कांग्रेस में बनने-बिगड़ने वाले समीकरणों का राज्य की सियासत पर बड़ा असर पड़ेगा।भारतीय जनता पार्टी व आम आदमी पार्टी सहित शिरोमणि अकाली दल भी इसे पंजाब की सत्ता में स्थापित होने के अच्छे मौके के रूप में देख रहा है। विपक्ष की तरफ से कैप्टन के इस फैसले को लेकर कांग्रेस को ही घेरा जा रहा है, न की कैप्टन अमरिंदर सिंह को। अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि कैप्टन किसके साथ जाएंगे या फिर अपनी अलग पार्टी बनाएंगे..या फिर कांग्रेस में ही रहकर विरोधियों को पस्त करने की कवायद करेंगे। जो भी कदम होगा, उसका फायदा किसी न किसी अन्य विपक्षी दल को होगा।भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री मनोरंजन कालिया का मानना है कि कैप्टन ने विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों की सियासत को अपनी तरफ खींच लिया है और सभी उनके अगले कदम की प्रतीक्षा कर रहे हैं कि वह अलग पार्टी बनाते हैं या कोई और फैसला लेते हैं।बेअदबी व कृषि कानूनों के कारण बैकफुट पर चल रहे शिरोमणि अकाली दल को भी कैप्टन के इस्तीफे के बाद एक यह उम्मीद है कि कम से कम किसानों के मुद्दे पर अब कांग्रेस की मजबूत पकड़ को वह ढीला कर सकेगी। कैप्टन ने किसानों के आंदोलन को पूरा समर्थन देकर बड़ा दांव चला था। अमरिंदर सिंह ने शुरू से ही किसान आंदोलन को कूटनीतिक तरीके से हैंडल किया था।
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