भगवान विश्वकर्मा की पूजा शुक्रवार को होगी। इसबार कर्म एकादशी के साथ सिद्ध योग का महासंयोग बन रहा है। भक्तों पर भगवान विश्वकर्मा की विशेष कृपा होगी। इसी दिन कन्या राशि में सूर्य का भी प्रवेश होगा। शुक्रवार को ही कर्म एकादशी और भाई-बहन का पर्व कर्मा-धर्मा भी मनाया जाएगा। लोग एकादशी का व्रत रखेंगे।मान्यता है कि कर्म जागृत करने के लिए कर्म एकादशी का व्रत किया जाता है। इस बीच विश्वकर्मा पूजा की पूर्व संध्या पर गुरुवार को बाजार में पूजन-सामग्री, फल-फूल, प्रसाद-मिठाई आदि की खरीदारी के लिए देर शाम तक भीड़ रही। शहर में कई जगह मूर्ति स्थापित करने की तैयारी चल रही थी।शास्त्रों में वर्णित है कि भारतीय सनातन धर्म में भगवान विश्वकर्मा का स्थान एक ऐसे शिल्पकार के रूप में है, जिन्होंने ब्रह्मा जी के साथ मिलकर सृष्टि का निर्माण किया है। उनके शिल्प कला से समस्त जगत में भवन आदि से लेकर यान आदि पर्यंत सभी चीजें उनके अधिकार क्षेत्र में हैं। सृष्टि में सभी तरह की भौतिक सुख-सुविधा के भगवान विश्वकर्मा ही हैं। इसलिए इस दिन मोटर यान से लेकर कल-कारखाना या जहां भी शिल्प निर्माण का कार्य होता है, वहां भगवान विश्वकर्मा की पूजा श्रद्धा-भक्ति से किया जाता है।
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