Spiritual/धर्म ( GILTV) : वट सावित्री व्रत के दिन सावित्री यमराज से अफने पति के प्राण वापस लेकर आई थी, तभी से वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या पर रखा जाता है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके तैयार होती हैं और नई साड़ी, मेंहदी, चूड़ी आदि पहनकर वट वृक्ष की पूजा करती हैं। इस व्रत में वट वृक्ष की पूजा का खास महत्व है।
ऐसा कहा जाता है कि जिस प्रकार वट वृक्ष की उम्र होती है, उतनी ही लंबी उम्र पति की बढ़ें। इस दिन कुछ महिलाएं जहां निर्जला व्रत रखती हैं, वहीं कुछ पूजा और दान करके बायना सास को देकर कथा सुनकर व्रत खोल लेती हैं।