Life Style ( GILTV) : त्रिफला के नाम से हम सभी परिचित हैं। आयुर्वैदिक औषधियों की जिसे ज़रा सी भी जानकारी होगी,वह त्रिफला के विषय में अवश्य ही जानता होगा। भारत देश में इसका उपयोग एक घरेलू औषधि के रूप में भी किया जाता है। कब्ज़ का नाम सुनते ही सर्वप्रथम त्रिफला की याद आती है। यह एक निरापद औषधि है, भाव इसके सेवन से किसी भी प्रकार की कोई हानि नहीं होती। इसका सेवन अनेकों ही रूपों मेें किया जाता है। परंतु चूर्ण के रूप में इसके प्रयोग का सबसे अधिक किया जाता है।
त्रिफला भाव तीन जड़ी बूटियों के योग से बना मिश्रण। इसके तीन घटक मुख्यतः हरड़, बहेड़ा और आँवला हैं। आँवला को सर्व रोग हरण औषधि माना जाता है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति पूरा जीवन त्रिफला का प्रयोग करते हैं उन्हें कोई भी रोग यहाँ तक कि बुढ़ापा रोग भी नहीं व्याप्ता। त्रिफला का मिश्रण इन तीनों घटकों के मिश्रण को बराबर मात्र में मिलाकर तैयार किया जाता है। ‘शारंग्धर’ के अनुसार एक भाग हरड़, दो भाग बहेड़ा और चार भाग आँवला मिलाने से त्रिफला बनता है। ‘भाव प्रकाश’ ग्रन्थ के अनुसार समान मात्र में हरड़, बहेड़ा और आँवला मिलाने पर त्रिफला बनता है। इसको बड़ी त्रिफला कहा जाता है।