धर्म (GILTV) : प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस शनिवार को शनि प्रदोष है। शनि प्रदोष में शनि भगवान की पूजा होती है तो आइए हम आपको शनि प्रदोष की व्रत-विधि तथा महत्व के बारे में बताते हैं।
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। जब शनिवार के दिन प्रदोष व्रत होता है तो उसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। शनि प्रदोष व्रत के दिन शनि भगवान की पूजा की जाती है। शनि प्रदोष व्रत की पूजा में काला वस्त्र, काला तिल, तेल, उड़द का इस्तेमाल किया जाता है। इस प्रकार से पूजा करने से शनि देवता प्रसन्न होते हैं और आर्शीवाद देते हैं। शनि की दशा को सुधारने के लिये यह व्रत किया जाता है।
प्रदोष व्रत खास होता है इसलिए इसकी पूजा विशेष प्रकार से की जाती है। इसके लिए प्रदोष व्रत करने के लिए सबसे पहले जल्दी सुबह उठकर नहाकर साफ कपड़े पहनें और भगवान शिव को जल चढ़ाकर प्रार्थना करें। पूरे दिन निराहार रहते हुए प्रदोषकाल में शंकर भगवान को चावल, फूल, धूप, दीप, फल, शमी, पान, सुपारी, बेल पत्र, कनेर और धतूरा चढ़ाएं।
शनि प्रदोष व्रत के दिन व्रत दिन भर निराहार रहें और शाम को पूजा करें। इस दिन भक्तों को शनि देव को पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए। इस दिन शनि चालीसा का भी पाठ कर सकते हैं।