Spiritual/धर्म एक आलसी लेकिन भोलाभाला युवक था आनंद। दिन भर कोई काम नहीं करता बस खाता और सोता रहता। घरवालों ने उसे निकाल दिया और कुछ काम करने को कहा। आनंद घर से निकलकर यूं ही भटकते हुए एक आश्रम में पहुंच गया। वहां उसने देखा कि एक गुरु जी हैं, उनके शिष्य कोई काम नहीं करते बस मंदिर में पूजा करते हैं। उसने सोचा यह उसके लिए अच्छी जगह है, कोई काम-धाम नहीं बस पूजा ही तो करनी है। उसने गुरु जी से आज्ञा ली और वहां रहने लगा।आनंद मजे से आश्रम में रह रहा था, न कोई काम और न कोई धाम बस खाओ और प्रभु की भक्ति में भजन गाओ। धीरे-धीरे महीना बीत गया और एकादशी आ गई। आनंद ने देखा कि रसोई में खाना तैयार नहीं था। उसने गुरुजी से पूछा तो उन्होंने बताया कि आश्रम में सभी का एकादशी का उपवास है। आनंद बोला, गुरु जी बिना भोजन वह तो मर जाएगा।