राजनीति भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआईएम) के महासचिव सीताराम येचुरी तीसरी बार राज्यसभा नहीं जाएंगे। पार्टी की केंद्रीय समिति ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल से कांग्रेस के समर्थन से उन्हें उच्च सदन में भेजने की मांग को रद्द कर दिया। समिति की चार घंटे की चर्चा के बाद बंगाल यूनिट इस मामले को केंद्रीय समिति के सामने लेकर आए जबकि पोलित ब्यूरो (पीबी) दो बार उसके प्रस्ताव को रद्द कर चुकी थी। येचुरी को तीसरी बार राज्यसभा भेजने के खिलाफ केंद्रीय समिति के 45-50 सदस्यों ने वोट किया। वहीं 25-30 ने उनका समर्थन किया। बंगाल के नेताओं का तर्क है कि यदि वह इस मौके का फायदा नहीं उठाते हैं तो पार्टी का उच्च सदन में पश्चिम बंगाल से कोई प्रतिनिधित्व नहीं रह जाएगा।कुछ नेताओं का कहना है कि यदि येचुरी निर्विरोध चुने जाते हैं तो कांग्रेस के वोट लेने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी। वहीं कुछ का तर्क है कि येचुरी को विपक्षी राजनीति में सब जानते हैं और संसद में उनकी उपस्थिति से पार्टी की राष्ट्रीय स्तर पर पैठ बढ़ेगी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि येचुरी को राज्यसभा न भेजना एक और ऐतिहासिक गलती होगी। पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रकाश करात के नेतृत्व में एक वर्ग का कहना है कि वह कांगेस के समर्थन से येचुरी के राज्यसभा जाने का समर्थन नहीं करते हैं। उनका कहना है कि पार्टी के महासचिव का कांग्रेस के समर्थन से चुना जाना सीपीआईएम की उस विचारधारा के खिलाफ है जिसमें उस पार्टी के साथ गठबंधन न करने का फैसला लिया गया है।येचुरी के साथ पश्चिम बंगाल के पांच सांसदों का राज्यसभा कार्यकाल 18 अगस्त को खत्म हो रहा है। उन्होंने पीबी और सीसी को साफतौर पर बता दिया है कि वह चुनाव नहीं लड़ना चाहते क्योंकि पार्टी के नियम केवल दो कार्यकाल की इजाजत देते हैं। रविवार को पोलित ब्यूरो ने एक बार फिर बंगाल यूनिट के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया जिसमें येचुरी को तीसरी बार राज्यसभा भेजने के लिए कहा गया था। राज्यसभा की छह सीटों के लिए आठ अगस्त को चुनाव होने हैं जिसमें से तृणमूल कांग्रेस आसानी से पांच सीटें जीत सकती है। वहीं छठी सीट के लिए सीपीआई के पास बंगाल विधानसभा में विधायकों की पर्याप्त संख्या नहीं है। यदि सीपीआईएम येचुरी को उम्मीदवार बनाती है तो कांग्रेस ने उनका समर्थन करने की इच्छा जताई है।
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