Spiritual/धर्म

करें मां शाकम्भरी की उपासना

शाकम्भरी नवरात्रि का आरंभ पौष मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होता है। यह पौष पूर्णिमा पर समाप्त होता है। मां शाकम्भरी साक्षात लक्ष्मी स्वरूपा हैं। मां शाकम्भरी मां दुर्गा के अवतारों में से एक हैं। मां शाकम्भरी नवरात्रि का समापन पौष पूर्णिमा के दिन होता है।पौष माह की पूर्णिमा के दिन ही मां शाकम्भरी का प्रादुर्भाव माना जाता है। इस दिवस को मां शाकम्भरी जयंती महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। एक बार जब दुर्गम नामक दैत्य ने भगवान ब्रह्मा से चारों वेद चुरा लिए थे। तब आदिशक्ति मां दुर्गा का रूप मां शाकम्भरी अवतरित हुईं। मां ने दुर्गम दैत्य का अंत किया। मां शाकम्भरी की कृपा से भक्तों के घरों में भंडार भरे रहते हैं। कभी भी खाद्य सामग्री की कमी नहीं रहती है। मां शाकम्भरी के स्वरूप का वर्णन श्रीदुर्गा सप्तशती में मिलता है। मां शाकम्भरी शताक्षी तथा दुर्गा नाम से भी विख्यात हैं। मां ने मानव जगत के कल्याण के लिए पृथ्वीलोक पर अवतार लिया। मां शाकम्भरी की सच्चे मन से आराधना करने से अन्न-धन, सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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