Spiritual/धर्म

देश का विशालतम शिवलिंग

Spiritual/धर्म (giltv) राजस्थान में कई ऐतिहासिक मंदिर हैं, जिनमें महादेव शिव का भी एक बहुत सुंदर मंदिर शामिल है। यह मंदिर अपने विशाल शिवलिंगम और नक्काशीदार बरामदे के लिए जाना जाता है। मंदिर का निर्माण पंद्रहवीं सदी में कुंभलगढ़ किले के निर्माण के साथ ही हुआ था। सन 1457 में महाराणा कुंभा ने इस मंदिर का निर्माण कराया था।हनुमान पोल से अंदर प्रवेश करने के बाद दाहिनी तरफ नीलकंठ महादेव का सुंदर मंदिर है। इस मंदिर में काले पत्थर का विशाल शिवलिंगम स्थापित है। मंदिर में स्थापित इस शिवलिंगम को देश के विशालतम लिंगम में गिना जाता है। नीलकंठ मंदिर के शिवलिंगम की ऊंचाई छह फीट है। मंदिर के गर्भगृह की कलात्मकता भी अद्भुत है।
नीलकंठ महादेव महाराणा कुंभा के आराध्य देव थे। वे नियमित इस मंदिर में पूजा किया करते थे। यह राजस्थान के अत्यंत सुंदर शिवमंदिरों में से एक है।नीलकंठ महादेव का यह मंदिर अपने ऊंचे-ऊंचे सुन्दर स्तम्भों वाले बरामदे के लिए भी जाना जाता है। इस तरह के बरामदे वाले मंदिर प्राय: बहुत कम देखने को मिलते हैं। इस मंदिर के भवन में कुल 36 कलात्मक स्तंभों का निर्माण कराया गया है। मंदिर की संरचना दो मंजिलों वाली है। कहा जाता है कि महाराणा कुंभा स्वयं वास्तुशास्त्र के बड़े जानकार थे। उनका वास्तुज्ञान इस मंदिर के निर्माण में खूब झलकता है। मंदिर की इस स्थापत्य शैली को कर्नल टॉड जैसे भारतविद इतिहासकार ग्रीक (यूनानी)  शैली बतलाते हैं। हालांकि कई विद्वान उनके इस तर्क से सहमत नहीं हैं।
नीलकंठ मंदिर में आज भी नियमित रूप से पूजा-अर्चना होती है। आम श्रद्धालु यहां सुबह से शाम यानी सूर्योदय से सूर्यास्त तक नीलकंठ के दर्शन कर सकते हैं। कुंभलगढ़ किले में आने वाले सैलानी अकसर इस मंदिर के भी दर्शन जरूर करते हैं।

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