Spiritual/धर्म

सूर्य को अर्घ्य देने का तरीका

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मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की सप्तमी को मित्र सप्तमी कहते हैं, जो इस वर्ष 3 दिसंबर को है। सभी ग्रहों के राजा हैं सूर्य। इनका एक नाम मित्र भी है, जो मित्रों के समान प्रेरणा देता है, सकारात्मकता प्रदान करता है। सूर्य, विष्णु के दक्षिण नेत्र और अदिति-कश्यप के पुत्र हैं। सनातन धर्म में पंचदेव पूजा का विधान है। गणेश, दुर्गा, शिव व श्रीहरि तो भारी तपस्या के बाद दर्शन देते हैं, पर सूर्य तो प्रत्यक्ष देवता हैं। सूर्य ही हर सुबह ब्रह्मा, दोपहर विष्णु और शाम को रुद्र रूप धारण करते हैं। मित्र सप्तमी को जब सूर्य देव की लालिमा फैल रही हो, तो मुंडन करा नदी या सरोवर में जाकर स्नान करना चाहिए। इस दिन सूर्य का षोडशोपचार पूजन कर उपवास रखना चाहिए। उपवास में मीठे फल खा सकते हैं। अष्टमी को दान आदि कर शहद मिला मीठा भोजन करना चाहिए।सुबह एक पैर के आधा भाग को उठाकर रक्त चंदनादि से युक्त लाल पुष्प, चावल आदि तांबे के पात्र में रख कर सूर्य को हाथ की अंजलि से तीन बार जल में ही अर्घ्य देना चाहिए। दोपहर को खडे़ होकर अंजलि से केवल एक बार जल में और सायंकाल में साफ-सुथरी भूमि पर बैठकर तीन बार अंजलि में जल भरकर अर्घ्य देना चाहिए। ध्यान रखें, जल पैरों का स्पर्श न करे।

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