Spiritual/धर्म

कब और कैसे हुई थी कांवड़ यात्रा की शुरुआत? पढ़ें इससे जुड़ी पौराणिक कथा

सावन में कांवड़ यात्रा  की शुरुआत होती है जिसका समापन सावन पूर्णिमा पर होता है। इस उत्सव के दौरान शिव भक्तों में बेहद खास उत्साह देखने को मिलता है। कांवड़ लाने के बाद सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव को जल अर्पित किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से जातक की सभी मुरादें पूरी होती हैं।

इस दिन से शुरू होगी कांवड़ यात्रा 2024

पंचांग के अनुसार, इस बार कांवड़ यात्रा की शुरुआत 22 जुलाई 2024 से होगी। वहीं, इसका समापन 02 अगस्त 2024 यानी सावन शिवरात्रि के दिन होगा।

कांवड़ यात्रा की पहली कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में श्रवण कुमार ने कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी। उनके अंधे माता-पिता ने हरिद्वार में गंगा स्नान करने की इच्छा जाहिर की। ऐसे में उनके पुत्र श्रवण कुमार ने माता-पिता को कंधे पर कांवड़ में बैठाकर पैदल यात्रा की और उन्हें गंगा स्नान करवाया। इसके पश्चात वह अपने साथ वहां से गंगाजल लेकर, जिससे उन्होंने भगवन शिव का विधिपूर्वक अभिषेक। धार्मिक मान्यता है कि तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई।

कांवड़ यात्रा की दूसरी कथा

इसके अलावा कांवड़ यात्रा की शुरुआत की दूसरी कथा भी प्रचलित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान निकले विष का पान करने से महादेव का गला जलने लगा, तो ऐसी स्थिति में देवी देवताओं ने गंगाजल से प्रभु का जलाभिषेक किया, जिससे प्रभु को विष के असर से मुक्ति मिली। ऐसा माना जाता है कि तभी से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई।

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