मुस्लिम राजनीतिक पार्टी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तिहादुल मुस्लिमीन का नाम आते ही असदुद्दीन ओवैसी की छवि दिमाग में आ जाती है। उन्होंने चार लोकसभा चुनाव जीते हैं। अपनी पार्टी को आंध्र प्रदेश (और अब तेलंगाना) की सीमाओं से बाहर ले जाकर सक्रिय करने का श्रेय उन्हें ही जाता है। उन्होंने राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकाय चुनावों में भी जीत हासिल की है। वह एक शिक्षित, सक्षम और व्यापक अध्ययन वाले मुस्लिम नेता हैं। मुसलमानों के मुद्दों को संसद के अंदर और बाहर पूरी ताकत और तर्कों के साथ उठाते हैं।
उनकी राजनीतिक शैली से कुछ वर्ग असहमत हो सकते हैं, लेकिन इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता कि मुस्लिम मुद्दों पर उनकी जैसी तर्कपूर्ण आवाज उठाने वाला दूर-दूर तक कोई नहीं है। उन्होंने सदन का अधिकतम समय मुस्लिम मुद्दों को उठाने में लगाया है।
एक अंग्रेजी दैनिक द्वारा भारत के 100 सबसे शक्तिशाली लोगों की सूची में उन्हें 78वां स्थान दिया गया है। जाने-माने वकील हरीश साल्वे, शशि थरूर, शरद पवार और लुलु ग्रुप के चेयरमैन यूसुफ अली और यहां तक कि रामदेव और अमिताभ बच्चन भी इस सूची में उनके बाद हैं।