अगस्त का महीना शुरू ही हो गया और इस महीने में कई खगोलीय घटनाएं होने वाली हैं, जिन्हें बेहद दुर्लभ मानी जा रही हैं। अगस्त के महीने में दो सुपरमून दिखाई देने वाले हैं। पहला सुपरमून महीने की पहली तारीख को दिखेगा और दूसरा 30 अगस्त की रात को। तो आइए जानते हैं क्या है इसकी खासियत।
क्या है सुपर मून?
सुपर मून, चांद से जुड़ी एक बेहद दुर्लभ घटना होती है, जिसे आप साल में सिर्फ दो-तीन बार ही देख सकते हैं। सुपर मून जिस दिन होता है, उस दिन चंद्रमां का आकार आम दिनों से कहीं ज्यादा बड़ा दिखता है। सुपर मून दो अलग-अलग खगोलीय प्रभावों का संयोजन है। जब सूरज की पूरी रोशनी के साथ चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक से गुजरता है, तो वह हमें विशाल और भव्य रूप में दिखाई देता है। इसी घटना को हम पूर्ण चंद्रमा यानी सुपरमून कहते हैं। यह स्थिति तब आती है, जब रोशनी से चमकता हुआ फुल मून पृथ्वी के 224,865 मील के दायरे में आ जाता है।
सुपर मून और ब्लू मून
अगस्त के महीने में दो सुपरमून दिखने का मौका मिलेगा। पहला एक अगस्त को दिखेगा, तो दूसरा 30 अगस्त की रात को। पहली तारीख को दिखने वाला मून आम दिनों से आकार में कहीं ज्यादा बड़ा दिखेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन चांद पृत्थवी से सिर्फ 357,530 किलोमीटर दूरी पर होगा, इसलिए इसे सुपर मून कहा जा रहा है। वहीं, 30 अगस्त के दिन चांद पृथवी से और नजदीक आ जाएगा और बीच का फासला सिर्फ 357,344 किमी का रह जाएगा। एक ही महीने में यह दूसरा फुल मून होगा, इसलिए इसे ब्लू मून कहा जा रहा है।
इस साल दिखने हैं 4 सुपर मून
आपको बता दें कि इससे पहले जून के महीने में भी एक सुपर मून देखने को मिला था, जिसे स्ट्रॉबेरी मून का नाम दिया गया। ऐसा इसलिए क्योंकि यह स्ट्रॉबेरीज़ की खेती के दौरान पड़ा था। दूसरा और तीसरा सुपर मून अगस्त के महीने में पड़ रहा है, जिसे स्टर्जन मून और ब्लू मून के नाम से जाना जा रहा है। साल का आखिरी सुपर मून देखने का मौका सितंबर में मिलेगा। इसलिए अगर आप जून में चूक गए थे, तो तीन और सुपर मून देखने के मौके आपके पास हैं।
स्टर्जन मून का क्या मतलब है?
ओल्ड फॉर्मर्स एल्मैनक के अनुसार, अगस्त सुपर मून को पारंपरिक रूप से स्टर्जन चंद्रमा के नाम से जाना जाता है। स्टर्जन एक तरह की मछली होती है, और सुपर मून के लिए यह नाम इसलिए चुना गया क्योंकि सैकड़ों साल पहले गर्मियों के मौसम में यानी अगस्त के महीने में ग्रेट लेक्स और लेक चैम्पलेन में इस मछली की तादाद काफी ज्यादा बढ़ जाती थी।
बड़े आकार की इन मछलियां में, जिन्हें जीवित जीवाश्म का नाम दिया गया है, सदियों से किसी तरह का फर्क नहीं आया है। हालांकि, अफसोस की बात है कि पिछले कुछ सालों में इनकी संख्या कम हुई है, जिसके पीछे जरूरत से ज्यादा फिशिंग निवास को नुकसान पहुंचना बड़े कारण हैं।