Spiritual/धर्म

क्यों हर 12 साल में होता है कुंभ मेले का आयोजन

हिंदू धर्म में कुंभ मेले का विशेष महत्त्व है। यह विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला माना जाता है, महाकुंभ मेला हर 12 साल में एक बार आयोजित किया जाता है।  यह आस्था का सबसे बड़ा जमावड़ा है, जिसमें दुनियाभर से लोग भाग लेते हैं और पवित्र नदी में स्नान करते हैं। महाकुंभ मेले का आयोजन पवित्र नदियों के तट पर स्थित चार तीर्थ स्थलों के पास होता है। ये स्थान हैं उत्तराखंड में गंगा के किनारे हरिद्वार, मध्य प्रदेश में शिप्रा नदी पर उज्जैन, महाराष्ट्र में गोदावरी नदी पर नासिक और उत्तर प्रदेश में तीन नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम स्थल प्रयागराज पर। हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जब बृहस्पति कुंभ राशि में और सूर्य मेष राशि में प्रवेश करते हैं तो कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। प्रयाग का कुंभ मेले का महत्व सबसे अधिक है।12 साल में एक बार होता है कुंभ मेले का आयोजन

कुंभ मेले की शुरुआत कब और कैसे हुई, इससे संबंधित कई कथाएं प्रचलित हैं। हिन्दू पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था। मंथन में कई रत्न, अप्सराएं, जानवर, विष और अमृत आदि निकला था। अमृत पाने के लिए देवताओं और असुरों में संघर्ष शुरू हो गया था। इस संघर्ष के बीच अमृत की कुछ बूंदें छलक कर पृथ्वी पर गिर गईं। अमृत की बूंदें जहां-जहां गिरीं, वहां-वहां कुंभ का आयोजन किया गया। अमृत की बूंद प्रयाग, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरी थीं। तभी से प्रत्येक 12 वर्षों के अंतराल पर इन स्थानों पर कुंभ मेला आयोजित किया जाता है।

इन ग्रहों के विशेष संयोग पर लगता है मेला 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, अमृत को असुरों से बचाने के संघर्ष में चंद्रमा ने अमृत को बहने से बचा लिया था और गुरु बृहस्पति देव ने कलश को छुपा दिया था। सूर्यदेव ने कलश को फूटने से बचाया और शनिदेव ने इंद्र के कोप से रक्षा की। इसलिए जब-जब इन ग्रहों का संयोग एक राशि में होता है, तब महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। इन ग्रहों के संयोग से ही अमृत कलश की रक्षा हुई थी, जिसको बाद भगवान विष्णु के सहयोग से देवताओं ने अमृत ग्रहण किया।

कुंभ मेले के प्रकार

महाकुंभ मेला: यह केवल प्रयागराज में आयोजित किया जाता है। यह हर 144 साल में या 12 पूर्ण कुंभ मेले के बाद आता है।

पूर्ण कुंभ मेला: यह हर 12 साल में आता है। मुख्य रूप से भारत में 4 कुंभ मेला स्थानों यानी प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में आयोजित किया जाता है। यह हर 12 साल में इन 4 जगहों पर बारी-बारी से मनाया जाता है।

अर्ध कुंभ मेला: इसका अर्थ है आधा कुंभ मेला जो भारत में हर 6 साल में केवल दो स्थानों यानी हरिद्वार और प्रयागराज में आयोजित किया जाता है।

कुंभ मेला: चार अलग-अलग स्थानों पर आयोजित और राज्य सरकारों द्वारा आयोजित किया जाता है। लाखों लोग आध्यात्मिक उत्साह के साथ भाग लेते हैं।

माघ कुंभ मेला: इसे मिनी कुंभ मेला के रूप में भी जाना जाता है जो सालाना और केवल प्रयागराज में आयोजित किया जाता है। यह हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने में आयोजित किया जाता है। कुंभ मेले का स्थान उस अवधि में विभिन्न राशियों में सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की स्थिति के अनुसार तय किया जाता है।

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