इस आम धारणा के बावजूद कि शिक्षा किसी व्यक्ति को रूढ़ियों से मुक्त करके उसे प्रगतिशील बनाती है, शिक्षा और कट्टरता के बीच के संबंध को लेकर हमेशा से एक बहस कायम रही है। इसके पीछे कारण यह है कि जहां एक तरफ शिक्षा, विशेष तौर आधुनिक शिक्षा व्यक्ति को उदार बनाने का एक माध्यम है, वहीं इसका दूसरा पक्ष यह है कि अगर शिक्षा किसी विशेष विचारधारा को मजबूत बनाने के उद्देश्य से हो तो फिर यह कट्टरता को और भी ज्यादा बढ़ाती है। शिक्षा के प्रसार के संदर्भ में यदि व्यापकता में देखें तो कई बार ऐसे प्रश्न उठते रहे हैं, जो इसी अवधारणा को मजबूत करते दिखते हैं।