कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेलमैन स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ और नार्वेजियन नेशनल इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक हेल्थ के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक व्यापक अध्ययन में आटिज्म स्पेक्ट्रम डिसआर्डर (एएसडी) के विकास के खतरे से जुड़ी गर्भकालीन सूजन के आणविक संकेतों की पहचान की गई। आटिज्म दिमाग के विकास को प्रभावित करने वाली एक परिस्थिति है।यह अध्ययन असामान्य मस्तिष्क विकास के बारे में अहम समझ प्रदान करता है और जन्म के समय आटिज्म के परीक्षण के लिए रास्ता तैयार करता है। इसका प्रकाशन मालीक्युलर साइकियाट्री नामक पत्रिका में हुआ है। नए शोध के दौरान प्राप्त सुबूतों से यह पता चला कि भ्रूण अगर सूजन के संपर्क में आ जाता है, तो आटिज्म का खतरा बढ़ जाता है।पूर्व में हुए अध्ययनों में शोधकर्ताओं ने आटिज्म के खतरे को गर्भावस्था के दौरान मां को हुए बुखार, इन्फ्लूएंजा संक्रमण या हरपेसवायरस टाइप-2 संक्रमण से जोड़ा था। नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया से जुड़े 60 आणविक संकेतों का विश्लेषण किया। गर्भावस्था में माताओं के व प्रसव के बाद 957 शिशुओं के खून के नमूने लिए गए। बाद में इनमें से आधे बच्चों में आटिज्म के खतरे का पता चला।अध्ययन की सह लेखिका व कोलंबिया मेलमैन स्कूल में महामारी विज्ञान की एसोसिएट प्रोफेसर मैडी हार्निंग ने कहा, ‘हमें गर्भावस्था के मध्य में माताओं के खून के नमूनों में और बच्चों के गर्भनाल रक्त में प्रतिरक्षा संकेत मिले, जो बाद में आटिज्म से पीड़ित थे।’