वैक्सीन के असर को लेकर दो अलग-अलग आंकड़ों के सामने आने के बाद इसे लेने वालों में चिंता बढ़ गई थी। विशेषज्ञों ने इन चिंताओं को खारिज किया है और डेल्टा वैरिएंट की शक्ति, कोरोना की दूसरी लहर की तीव्रता और स्वास्थ्यकर्मियों के ज्यादा मरीजों के बीच काम करने को इस नवीनतम आंकड़े की मुख्य वजह बताया है। दरअसल, लैंसेट पत्रिका में बुधवार को नया शोध अध्ययन प्रकाशित हुआ था। इसमें कहा गया है कि वास्तविक मूल्यांकन में कोवैक्सीन को डेल्टा वैरिएंट से पैदा हुए संक्रमण के खिलाफ 50 फीसद प्रभावी पाया गया है। यह अध्ययन नई दिल्ली के एम्स में काम करने वाले कर्मचारियों बीच 15 अप्रैल से 15 मई के दौरान किया गया था।विशेषज्ञों का कहना है कि कोवैक्सीन के 77.8 फीसद का प्रभाव का आकलन कोरोना के प्रारंभिक वैरिएंट यानी वुहान में पाए गए वैरिएंट के खिलाफ पाया गया था। उनका यह भी कहना है कि कोवैक्सीन ही नहीं बल्कि लगभग सभी वैक्सीन को डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ कम प्रभावी पाया गया है।