राजनीति (GIL TV News) :- मौका- 71वां संविधान दिवस, जगह- संसद का सेंट्रल हॉल और बोलने वाले प्रधानमंत्री मोदी। सुनने वालों में सिर्फ भाजपा के लोग या उनके दोस्त। बात हम सदन की कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने नाम तो किसी का नहीं लिया, पर बातें सबकी कर डालीं। इशारा सबकी ओर था, लेकिन फोकस में यूपी के अखिलेश से लेकर दिल्ली का सोनिया परिवार था। कश्मीर के अब्दुल्ला-मुफ्ती फैमिली से लेकर बिहार का लालू परिवार भी दायरे में आया। मोदी ने चार बातें बड़ी कहीं, पढ़िये क्या कही और क्यों कही…
संविधान बनाते वक्त देशहित सबसे ऊपर था। अनेक बोलियों, पंथ और राजे-रजवाड़ों को संविधान के जरिए एक बंधन में बांधा गया। मकसद था कि ऐसा करके देश को आगे बढ़ाया जाए। अगर ये आज करना होता तो शायद हम संविधान का एक पेज भी पूरा न लिख पाते, क्योंकि राजनीति के चलते नेशन फर्स्ट पीछे छूटता जा रहा है।
क्यों कहा: संविधान दिवस सरकार के कैलेंडर में 1949 से, यानी 71 साल से है। लेकिन ये बड़ा आयोजन नहीं होता था। महज औपचारिकता निभाई जाती थी। केंद्र में NDA या यूं कहें कि भाजपा की सरकार आने के बाद 2015 से इसे बड़ा किया गया। इसके जरिये अंबेडकर और उन्हें मानने वालों को बड़ा स्पेस देने की कोशिश की गई।