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दुनिया की 40 फीसद आबादी के पास पौष्टिक भोजन खाने के पैसे नहीं…

पोषणयुक्त भोजन सक्रिय और स्वस्थ जीवन जीने के लिए आवश्यक माना जाता है, लेकिन दुनिया के 300 करोड़ लोगों यानी 40 फीसद आबादी के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे पोषणयुक्त भोजन का खर्च उठा सकें। यह बात 26 से 28 जुलाई तक रोम में हुए यूनाइटेड नेशंस फूड सिस्टम समिट 2021 में जारी रिपोर्ट में सामने आई है। यह रिपोर्ट फूड प्राइसेज फार न्यूट्रिशन, टफ्ट्स यूनिवर्सिटी और वर्ल्ड फूड प्रोग्राम ने संयुक्त रूप से जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार, स्वस्थ भोजन न मिलने के कारण दुनियाभर में बीमारियों का बोझ बढ़ रहा है। पोषणयुक्त भोजन का खर्च न उठा पाने के कारण बहुत से लोग स्वस्थ भोजन से वंचित रह जाते हैं। इसके लिए केवल कच्चे कृषि उत्पादों का बाजार भाव जिम्मेदार नहीं है। भोजन तैयार करने की अदृश्य लागत भी इसकी कीमत काफी बढ़ा देती है। रिपोर्ट में 168 देशों के भोजन की कीमत का आकलन किया गया है और पाया गया है कि दालयुक्त भोजन की सबसे सस्ती मौलिक थाली की कीमत 0.71 डालर की पड़ती है। इस थाली में भोजन पकाने की लागत शामिल नहीं है। हालांकि यह थाली पोषण युक्त भोजन की जरूरतें पूरी नहीं करती। अगर इस थाली में प्रोटीन युक्त लाल मांस को शामिल कर लिया जाए तो इसकी कीमत 1.03 डालर बढ़ जाती है। इसी तरह पोल्ट्री को शामिल करने पर 1.07 डालर और मछली शामिल करने पर इस थाली की कीमत 1.30 डालर बढ़ जाती है।  अगर सामान्य थाली की जगह लोग पका-पकाया भोजन खाते हैं और उसमें कैंड बींस, मछली या टमाटर और ब्रेड को शामिल करते हैं तो इसकी कीमत बेसिक थाली से लगभग दोगुनी होकर 1.77 डालर पहुंच जाती है। अगर इसमें रेड मीट को शामिल कर लिया जाए तो कीमत 1.03 डालर बढ़ जाती है। इसकी तरह पोल्ट्री शामिल करने पर 1.03 डालर और मछली शामिल करने पर इसकी कीमत में 1.30 डालर का इजाफा हो जाता है।रिपोर्ट में कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा 1.90 डालर प्रतिदिन है और गरीब परिवार इतने पैसे भोजन पर खर्च करने में सक्षम नहीं हैं। एक चौथाई देशों में जहां भोजन बहुत सस्ता नहीं है, वहां सबसे सस्ती थाली की कीमत प्रतिदिन की औसत आय से करीब 6 प्रतिशत या अधिक है। पका पकाया भोजन खाने पर यह कीमत 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। अगर भोजन में मांस को शामिल किया जाए तो कीमत 10 प्रतिशत बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में लोग गुणवत्तापूर्ण भोजन से दूर हो जाते हैं।भोजन की कीमत बढ़ाने में ईंधन की बड़ी भूमिका है। रिपोर्ट के अनुसार, 500 ग्राम (8.7 थाली के लिए पर्याप्त) सूखी फलियां बनाने पर 0.675 किलोग्राम चारकोल या 0.2 किलोग्राम गैस (एलपीजी) या 1.5 किलोवाट घंटा बिजली की आवश्यकता पड़ती है। प्रति थाली इसे पकाने पर 77 ग्राम चारकोल, 23 ग्राम एलपीजी गैस अथवा 0.17 किलोवाट घंटा बिजली की आवश्यकता होती हैछह अफ्रीका देशों बुरुंडी, इथियोपिया, केन्या, रवांडा, तंजानिया और युगांडा में इस तकनीक के आधार पर की गई गणना बताती है कि फलियों की प्रति प्लेट कीमत के मुकाबले अधिकांश ईंधन पर खर्च 50 फीसद से अधिक है। उदाहरण के लिए इथियोपिया में प्रति प्लेट फलियों की कीमत करीब 17 अमेरिकी सेंट है जबकि एलपीजी से इसे पकाने की लागत करीब 12 अमेरिकी सेंट है। रवांडा में फलियों की कीमत से अधिक खर्च उसे पकाने में प्रयोग होने वाली बिजली और एलपीजी का है। युगांडा में भी एलपीजी फलियों की कीमत से अधिक है।

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