Spiritual/धर्म

आज सूर्यास्त के बाद से शुरू होगा अश्विन मास की इंदिरा एकादशी का व्रत

Spiritual/धर्म (GIL TV News) :- हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का बहुत महत्व है. कहते हैं एकादशी का व्रत रखने से पापों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. ऐसे में हर एकादशी का अपना अलग महत्व होता है. पितृपक्ष के दौरान पड़ने वाली इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व है. इंदिरा एकादशी का व्रत पितरों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए रखा जाता है. महाभारत काल में भी एकादशी व्रत का वर्णन मिलता है. कहते हैं एकादशी के व्रत का फल तभी मिलता है जब नियम और निष्ठा के साथ व्रत का पालन किया जाए. दशमी के दिन सूर्यास्त से शुरू होकर द्वादशी के दिन व्रत का समापन किया जाता है. ऐसे में व्रत के पारण का भी विशेष महत्व है.

मान्यता है कि इंदिरा एकादशी का व्रत रखने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही, जो व्यक्ति एकादशी के व्रत को निष्ठा के साथ रखता है उसे इस लोक के सुखों को भोगते हुए बैकुंठ की प्राप्ति होती है.

1. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एकादशी का व्रत दशमी तिथि से ही आरंभ हो जाता है. अतः कहते हैं कि सूर्यास्त के बाद व्रत रखने वाले व्यक्ति को भोजन नहीं करना चाहिए.

3. एकादशी के व्रत में पारण का भी विशेष महत्व है. इसमें द्वादशी तिति के दिन सूर्यादय के बाद ही पारण किया जाता है. कहते हैं स्नान आदि के बाद पूजन करके ब्राह्मण भोज के बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए.

4. इतना ही नहीं,अगर आपने इंदिरा एकादशी का व्रत रखा है तो ध्यान रखें कि व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले ही कर लें. मान्यता है कि हरि वासर समाप्त होने के बाद व्रत का पारण नहीं करना चाहिए.

5. अगर सूर्योदय से पहले ही द्वादशी तिथि समाप्त हो जाए, तो ऐसी स्थिति में सूर्योदय के बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए. इसके अलावा व्रत का पारण द्वादशी तिथि में ही किया जाना चाहिए.

6. कहते हैं कि द्वादशी समाप्त होने के बाद एकादशी का पारण करना पाप के समान माना जाता है.

7. धार्मिक मान्यता है कि एकादशी के व्रत के दौरान जितना हो सके कम बात करनी चाहिए, जिससे आपके मुंह से कम से कम अपशब्दों का प्रयोग हो. यदि भूलवश ऐसा कुछ हो भी जाता है तो भगवान विष्णु जी के आगे क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए.

8. वैसे एकादशी के दौरान पूरा समय भगवान का स्मरण ही करना चाहिए.

9. इतना ही नहीं, दशमी तिथि से लेकर द्वादशी तिथि तक पूरी तरह से ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना चाहिए.

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