Spiritual/धर्म (GIL TV News) :- भगवान गणेश को संकटहारी और मंगलकारी देव के रूप में जाना जाता है। भगवान गणेश के पूजन से ऋद्धि-सिद्धि और शुभ-लाभ की प्राप्ति होती है। भाद्रपद माह का शुक्ल पक्ष भगवान गणेश के पूजन के लिए विशेष रूप से समर्पित है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान गणेश का जन्म इस माह की चतुर्थी तिथि को हुआ था, इसलिए इस दिन को गणेश चतुर्थी तिथि या विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस माह में गणेश चतुर्थी से लेकर अनंत चतुर्दशी की तिथि तक गणेश उत्सव मनाया जाता है।
इस साल गणेश उत्सव 10 सितंबर से 19 सितंबर तक मनाया जाएगा।शास्त्रों के अनुसार गणेश प्रतिमा को 1,2,3,5,7 या 10 दिन तक स्थापित कर पूजन करना चाहिए, इसके बाद विधि पूर्वक उनका विसर्जन करें। भगवान गणेश की बैठी हुई मुद्रा की प्रतिमा स्थापित करना शुभ होता है तथा प्रतिमा स्थापित करने से पहले घर में रोली या कुमकुम से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं।भगवान गणेश की पीठ में दरिद्रता का वास माना जाता है, इसलिए प्रतिमा इस तरह स्थापित करें की उनकी पीठ का दर्शन न हो।भगवान गणेश की स्थापना करने बाद उन्हें अकेला नहीं छोड़ना चाहिए।
5- भगवान गणेश के पूजन में नीले और काले रंग के कपड़े नहीं पहनना चाहिए, उन्हें लाल और पील रंग प्रिय है। इस रंग के कपड़े पहन कर पूजन करने से गणपति बप्पा शीघ्र प्रसन्न होते हैं।गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन का निषेध है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन चंद्रमा देखने से व्यक्ति कलंक का भागी बनता है। गणेश भगवान को पूजन में तुलसी पत्र नहीं अर्पित करना चाहिए, लाल और पीले रंग के फूल उन्हें बेहद प्रिय हैं। गणेश उत्सव के दिनों में सात्विक आहार ही करना चाहिए। इस काल में मांस, मदिरा आदि तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से गणेश पूजन सफल नहीं माना जाता है।