बिजली वितरण कंपनियां (डिस्काम) हरित ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है। कोयला आधारित संयंत्रों से बिजली खरीदने के बजाय सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा और हाइड्रो संयंत्रों से बिजली खरीदने को प्राथमिकता दी जा रही है। इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ ही उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। इसे ध्यान में रखकर बीएसईएस पुराने कोयला आधारित संयंत्रों के साथ किए गए लंबी अवधि के बिजली खरीद समझौते को खत्म करना चाहती है। इसकी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। पुराने संयंत्रों से समझौते खत्म करने के साथ ही अगले तीन वर्षों में कंपनी कुल बिजली में से 52 फीसद हरित ऊर्जा खरीदने की तैयारी में है। बिजली अधिकारियों के अनुसार इस समय बीएसईएस के पास लंबी अवधि वाले बिजली खरीद समझौतों में से 23 फीसद हिस्सा हरित ऊर्जा का है। कंपनी इस हिस्सेदारी को बढ़ाकर 50 फीसद से ज्यादा करना चाहती है। इसके लिए अगले ढाई से तीन वर्षों में 33 सौ मेगावाट हरित ऊर्जा खरीदने का लक्ष्य है। इसमें से 2291 मेगावाट सौर ऊर्जा, पवन चक्की व कचरे से बिजली बनाने वाले संयंत्रों से मिलेगी। वहीं, लगभग एक हजार मेगावाट बिजली जल विद्युत संयंत्रों से मिलेगी। कुछ दिनों पहले कंपनी ने सोलर एनर्जी कारपोरेशन आफ इंडिया (सेकी) के साथ समझौता किया है जिससे उसे लगभग ढाई रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से 510 मेगावाट अक्षय ऊर्जा मिलेगी।