Spiritual/धर्म

आज से वैशाख मास शुरू, इस महीने में जप, तप और दान करना बहुत फलदाई

Spiritual/धर्म ( GILTV): सृष्टि के आरंभ के पंद्रह दिन बाद 28 अप्रैल से भगवान नारायण को अत्यंत प्रिय लगने वाला वैशाख माह का आरंभ हो रहा है। स्कंद पुराण में वैशाख माह को पुण्यार्जन मास की संज्ञा देते हुए ‘माधव मास’ कहा गया है। इस महीने में जप, तप, दान करना बहुत फलदाई माना गया है। वैशाख मास के देवता भगवान मधुसूदन हैं। वैशाख स्नान करने वाले साधक को यह संकल्प लेना चाहिए-”हे मधुसूदन! हे देवेश्वर माधव! मैं मेष राशि में सूर्य के स्थित होने पर वैशाख मास में प्रातः स्नान करूँगा,आप इसे निर्विघ्न पूर्ण कीजिए।’यह महीना संयम,अहिंसा,आध्यात्म,स्वाध्याय और जनसेवा का महीना है। अतः सेवा किसी भी रूप में हो अधिक से अधिक करनी चाहिए। धूम्रपान, मांसाहार, मदिरापान एवं परनिंदा जैसी बुराईयों से बचना चाहिए। भगवान विष्णु की सेवा तथा उनके सगुण या निर्गुण स्वरुप का अनन्य चित्त से ध्यान करना चाहिए।

 सर्वश्रेष्ठ है ये महीना
स्कंद पुराण के अनुसार वैशाख मास को ब्रह्मा जी ने सब मासों में श्रेष्ठ बताया है। बिल्कुल ऐसे ही जैसे सतयुग के समान कोई दूसरा युग नहीं, वेदों के समान कोई शास्त्र नहीं, गंगा के समान कोई तीर्थ नहीं उसी भांति वैशाख मास के समान कोई महीना नहीं है। यह मास माता की भांति सब जीवों को सदा अभीष्ट वस्तु प्रदान करने वाला है। संपूर्ण देवताओं द्वारा पूजित धर्म, यज्ञ, क्रिया और तपस्या का सार है। जैसे विद्याओं में वेद विद्या, मंत्रों में प्रणव, वृक्षों में कल्पवृक्ष, धेनुओं में कामधेनु, देवताओं में विष्णु, वर्णों में ब्राह्मण, प्रिय वस्तुओं में प्राण, नदियों में गंगाजी, तेजों में सूर्य,अस्त्र-शास्त्रों में चक्र,धातुओं में सुवर्ण, वैष्णवों में शिव तथा रत्नों में कौस्तुभमणि है, उसी प्रकार धर्म के साधन भूत महीनों में वैशाख मास सबसे उत्तम है। भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए इस महीने में सूर्योदय से पूर्व स्नान करना चाहिए। वैशाख के महीने में भगवान विष्णु की आज्ञा से जनकल्याण हेतु जल में समस्त देवी-देवता निवास करते हैं।

जल दान करना है लाभकारी
यूं तो भगवान भोलेनाथ पर कभी भी जल अभिषेक करना बहुत फलदाई है। लेकिन वैशाख के पावन महीने में शिवलिंग पर जल चढ़ाने या गलंतिका बंधन करने का (जल से भरी हुई मटकी लटकाना) विशेष पुण्य बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार इस माह में प्याऊ लगाना, छायादार वृक्ष की रक्षा करना, पशु-पक्षियों के लिए चुग्गे की व्यवस्था करना, राहगीरों को जल पिलाना जैसे सत्कर्म मनुष्य के जीवन को समृद्धि के पथ पर ले जाते हैं। स्कंद पुराण के अनुसार इस माह में जल दान का सर्वाधिक महत्व है अर्थात अनेकों तीर्थ करने से जो फल प्राप्त होता है वह केवल वैशाख मास में जलदान करने से प्राप्त हो जाता है। इसके अलावा छाया चाहने वालों को छाता दान करना और पंखे की इच्छा रखने वालों को पंखा दान करने से ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों देवों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। जो विष्णुप्रिय वैशाख में पादुका दान करता है,वह यमदूतों का तिरस्कार करके विष्णुलोक को जाता है। वैशाख मास के प्रारम्भ होते ही तपिश का वातावरण तैयार हो जाता है इसलिए धार्मिक दृष्टिकोण से इस माह विशेष में वरुण देवता का विशेष महत्त्व होता है।

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